कहानी

कहानी – बँटवारा

जय प्रकाश के परिवार में उसकी माँ पत्नी एयर एक छोटी सी प्यारी सी बिटिया रहते थे ! जय प्रकाश का परिवार एक माध्यम आर्थिक स्थिति के वर्ग में आता है जहाँ सभी के कुछ न कुछ सपने है और कब पूरे होंगे पता नहीं होता !

कुछ महीनो से जय प्रकाश की आर्थिक स्थिति जयादा अच्छी नहीं चल रही थी ! घर में खाना ही पूरा हो पता था तो सपनो को पूरा करने की तो सोच भी जनम लेने से घबराती थी !

ऐसे समय में जय प्रकाश और उसकी पत्नी एक दूसरे का अच्छा साथ निभा रहे थे और वक़्त के कठिन दौर में एक दूसरे को पूरा सहयोग करते थे ! वक़्त के चलते त्यौहार ने जीवन में दस्तक दी.. छोटी बच्ची मचल पड़ी खिलौना लेने के लिए .. साथ ही मौसम की वजह से माँ को भी खाँसी ने जकड लिया !
जय प्रकाश परिवार का एक मात्र कमाने वाला इंसान था और उसपर माँ, पत्नी और बिटिया की सभी जिम्मेदारियां ..
जय प्रकाश को काम मिला और सब कुछ खर्चा निकल कर सौ रूपए बच गए ! क्या करे वो इन रुपयों का समझ नहीं आ रहा था ! बहुत सोचा और समझा फिर उसने एक काम किया ! पचास पचास रूपए दोनों के लिए बाँट लिए !

घर पहुंचा ही था के देखा बिटिया घर के दरवाजे पर ही उसका इंतज़ार कर रही थी ! उसकी आँखों में जब जय प्रकाश ने देखा तो लगा मानों पूछ रही हो मेरा खिलौना कए क्या पापा ! इस बार जय प्रकाश के पास उसके सवाल के उत्तर में उसकी चाहत पूरी करने का साहस था ! बिटिया से बोला आँखें बंद करो और बिटिया ने वैसा ही किया.. थैले से निकाल कर खिलौना उसने बिटिया के हाथ पर रख दिया…
उमीदों और सपनो के पूरे होने की ख़ुशी उसकी बिटिया के चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी ! बस वही देख ओर जो संतोष जय प्राकाः को मिला उसका कोई मोल नहीं ! तब तक उसकी पत्नी भी इस नज़ारे का लुफ्त उठाने आ गयी थी ! पूरे खिले हुए मोगरे के फूलों का गजरा अपनी पत्नी के जूड़े में सजा दिया ! पत्नी ने भी ख़ुशी के संकेत से उसका मन खुश कर दिया और संतान को खुश देख कर दोनों माता पिता खुश हो गए..

अंदर आकर सीधा माँ के पास गया जय प्रकाश.. सोने की कोशिश कर रही थी माँ पर खाँसी सोने है दे रही थी उसे.. कैसी हो माँ .. पूछा और हाथ में दवा की शीशी रख दी उसने ! एक बार फिर वही मंज़र उभर आया ! माँ की आँखों में ढेर सारा स्नेह और आशीर्वाद देखा जय प्रकाश ने !
आज सब कुछ अच्छा हुआ और इस परिवार के दिन इसी तरह बीत रहे थे.

जय प्रकाश के मन में सिर्फ एक ही सवाल था जो उसके भीतर उसकी ख़ुशी को कम करने की पुरज़ोर कोशिश कर रहा था.
उसने रिश्तो का बँटवारा किया या राशि का !..