कविता

देव दयानन्द

घनघोर तिमिर फैला था भारत भू पर
घर – घर में बसा था झूठा आडम्बर
तब भारत भू पे एक किरण आशा की आई
उसने अज्ञान – अंधेरे वाली रात मिटाई
लिख सत्यार्थ प्रकाश जग का उपकार किया
फिर इस जग ने उस ज्ञानवीर को क्या दिया
पीकर जहर के कड़वे घूंट देव दयानन्द
स्वयं दबा के हृदयपीडा, दिया शस्त्रु आनन्द
जाते – जाते स्वराज्य का बिगुल बजा गये
आजाद भगत सिंह से भारत को वीर दे गये
शत-शत नमन हमारा देवों के देव हे दयानन्द
हम पर है उपकार तुम्हारा हे देव दयानन्द

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111

2 thoughts on “देव दयानन्द

  • मनमोहन कुमार आर्य

    ऋषि दयानन्द जी पर सुन्दर कविता के लिए धन्यवाद्। सादर।

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    बहुत सुंदर कविता . बधाई .

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