कविता

असुरों का संहार करो

बनो निरंकुश मोदीजी दुष्ट स्वजन पर वार करो,
मानवता नहीं होगी कलंकित असुरों का संहार करो।
खीझ रहे जो खीझने दो उनका तो नित्य का पेशा है,
गीता को जो करे कलंकित उनको ना स्वीकार करो।।

अधम, नीच, पापी है वो जो बाला का अपमान करें,
नीयत कुकर्मी लेकर के जो रक्त का रसपान करें।
समय नहीं दो इन असुरों को, धड़ से शीश हटा दीजै,
बन निरंकुश मोदी जी हर हवसी को बेजान करें।।

दिव्या के तन से खेला है आज एक फिर ठरकी ने,
किया कलंकित मानवता को फाड़ा तन फिर नरकी ने।
आज झाँसी के गद्दार वंश ने फिर से फण उठाया है,
दोगली राजनीती का पांसा फेंका है फिर सनकी नें।।

सब्र का बाँध टूट ना जाये जन-मन तो आक्रोशित है,
इतिहास के पन्ने बोल रहे वीर बना जो शोषित है।
जन-जन की आंदोलित आहें राज मिटा देगी सबकी,
सच कहता हूँ बच के रहना सभी ह्रदय अब रोषित है।।

प्रदीप कुमार तिवारी
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं