लघुकथा

चैलेंज-दर-चैलेंज

कभी-कभी सोशल मीडिया भी कमाल के काम कर देता है. सोशल मीडिया का एक हिस्सा- फेसबुक कब कौन-सी करवट ले और कौन-से गुल खिला दे, कहा नहीं जा सकता. गोवा के एक्वेम-बैक्सो ग्राम पंचायत के 25 वर्षीय युवा सरपंच सिद्धेश भगत इसी फेसबुक की अहमियत पर हैरान थे. एक समय था, जब नेताओं की जागरुकता प्रेरणा का काम करती थी. आज नेता लोग तो रहे नहीं, अलबत्ता राजनेताओं की बाढ़-सी आ गई है, लेकिन वे जागरुकता से कोसों दूर दिखाई देते हैं. राजनेताओं की इसी जागरुकता के लिए सिद्धेश भगत ने एक प्रयास किया है.

विश्व योग दिवस पर हम फिट तो इंडिया फिट चैलेंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली वर्कआउट के विडियो शेयर करते नजर आए थे. इसी से उत्प्रेरित होकर सिद्धेश भगत ने खेती के बारे में राजनेताओं को जागरुक करने की मुहिम छेड़ी है. उनकी ‘कृषि चुनौती’ को तमाम दलों के विधायकों ने स्वीकार किया है. ये नेता किसानों के धान के खेतों में जाकर हल चलाने और पौधे रोपने में जुट गए हैं.

भगत चाहते हैं कि सरकार कृषि को बढ़ावा दे. उन्होंने कांग्रेस विधायक लॉरेन्को को कृषि चैलेंज स्वीकार करने और तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करने को कहा. सिद्धेश ने चैलेंज देते हुए कहा, ‘एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर हम हरित क्रांति ला सकते हैं. मैं सभी विधायकों, मंत्रियों और दूसरे अधिकारियों से अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में खेतों पर जाने की गुजारिश करता हूं.’

27 जून को सिद्धेश भगत ने फेसबुक पर लिखा कि किसानों की मुश्किलों को एयर कंडिशंड दफ्तरों में बैठने के बजाए केवल खेतों तक जाकर ही समझा जा सकता है. भगत ने फेसबुक पर लिखा, ‘मैंने किसानों से जुड़े हुए कुछ मुद्दों को उठाया है और मुझे पूरी उम्मीद है कि वे मुद्दे कृषि मंत्री की टेबल पर रखे जाएंगे. मुझे भरोसा है कि वह इन समस्याओं को सुलझा लेंगे’.

मानसून के आने के बाद अब गोवा में धान के खेतों में लगातार नेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. राजस्व मंत्री रोहन खौंते और कांग्रेस विधायक एलेक्सो रेजिनाल्डो लॉरेन्को ने युवा सरपंच की चुनौती को स्वीकर करते हुए चैलेंज को पूरा किया. धान के खेतों में सबसे पहले विधायक एलेक्सो रेजिनाल्डो लॉरेन्को पहुंचे. इसके साथ ही कृषि मंत्री विजय सरदेसाई ने भी खेतों का रुख किया, हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि इसके पीछे उनका उद्देश्य गोवा के युवाओं को मकैनाइज्ड फार्मिंग (यांत्रिक खेती) के लिए प्रोत्साहित करना है.

राजनेताओं की जागरुकता का काम शुरु हो गया है. चैलेंज-दर-चैलेंज किसानों से जुड़े हुए मुद्दों को सुलझाने का मुश्किल काम तेजी से आसान हो सकता है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “चैलेंज-दर-चैलेंज

  • लीला तिवानी

    सिद्धेश भगत का कारगर प्रयास नायाब और काबिलेतारीफ है.

    एक बार राजनेताओं में जागरुकता आ जाए, तो वे गोवा में महज राजनेताओं नहीं रह जाते, नेता बनने की ओर उनके कदम बढ़ जाते हैं. ऐसी ही जागरुकता का एक कारगर प्रयास गोवा के एक्वेम-बैक्सो ग्राम पंचायत के 25 वर्षीय युवा सरपंच सिद्धेश भगत ने किया है, जो चुनौती से सिद्धि की ओर बढ़ता प्रतीत होता है. इसी प्रयास का उल्लेख इस लघुकथा में हुआ है.

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