कविता

बढ़ती धड़कनें

बेटी के मेले जाने की जिद
और बढ़ गयी बुधिया की धड़कनें
जैसे स्वीकृति नहीं क्या माँग लिया हो
कोई कीमती चीज
या फिर इतने रुपये कि
वो असमर्थ हो देने में।

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं माँगा
बिटिया नें तो
सहेलियों के साथ मेला जाने की आज्ञा माँगी
जो आज मुश्किल है
कठिन है दे देना
किसी भी कीमती चीज से।

बुधिया आज के दौर से वाकिफ था
दोस्तों में सुना था ऐसी चर्चा करते हुए
दरिंदगी और हत्याओं की दिल दहला देने वाली खबरों
और हमारे कानून के लचर व्यवस्था से।

तो क्या करे अगर
नहीं देती इजाजत उसकी आत्मा
पसीज जाता है वो
पेशानी पर खिच जाती हैं रेखाएँ
चिंता की
अनहोनी की
तो क्या करे अगर बढ़ने लगती हैं धड़कनें।

नहीं इजाजत दे पाता उसके अंदर का पिता
अनहोनी की आशंका
समाज का घिनौना रुप
डरा देता है उसे
शिकन बढा़ देता है चेहरे की
और नहीं जा पाती गुड़िया मेला घूमने।

अमरेश गौतम "अयुज"

अमरेश गौतम'अयुज' पिता - श्री कन्हैया लाल गौतम ईमेल आईडी - amaresh.gautam@yahoo.com मोबाइल नं.(व्हाट्सऐप) - +917600461256 जन्म/जन्मस्थान - 04/12/1981, रीवा (मध्य प्रदेश) शिक्षा - पात्रोपाधि अभियंता। संप्रति - नौकरी (जिंदल इस्पात) प्रकाशित पुस्तकें - अनकहे पहलू(काव्य-संग्रह), मुसाफ़िर (साझा काव्य-संग्रह ), अंजुमन (साझा ग़ज़ल-संग्रह) साहित्य उदय (साझा काव्य-संग्रह) एवं कुछ प्रकाशाधीन.... पुरस्कार/सम्मान - साहित्य शिखर सम्मान (उदीप्त प्रकाशन द्वारा सम्मानित) वेबसाइट :- www.sahityikbagiya.com मेरे बारे में :- मेरा जन्म मध्यप्रदेश के रीवा जिले के रायपुर गौतमान में 4 दिसम्बर 1981 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ।विद्यालयीन शिक्षा मैंने यहीं गाँव में पूरी की और उच्च शिक्षा के लिए पिता जी श्री कन्हैयालाल गौतम के पास बैतूल गया । सन् 1999 में विद्यालयीन शिक्षा समाप्त कर मैं पात्रोपाधि की पढ़ाई के लिए भोपाल गया और वहाँ से सन् 2003 में इन्जीनियरिन्ग डिप्लोमा प्राप्त की। हिन्दी साहित्य में मुझे बचपन से ही रुचि थी,यही नहीं मैंने पहली कविता सन् 1997 में लिखी जब दसवीं में था। कवि सम्मेलनों में कविता पाठ सुनने के लिए दूर-दूर जाया करता और पूरा कवि सम्मेलन सुनता । पारिवारिक स्थिति ठीक न होने की वजह से पढ़ाई आगे की रोककर नौकरी करने लगा किन्तु साहित्य साधना जारी है।