गीतिका/ग़ज़ल

“अपने मन की”

शुरू करो कुछ अपने मन की
कब तक करोगे सबके मन की,

लोगों को खुश करना छोड़ो
कब तक सुनोगे बेसर पर की,

अपनी खिचड़ी पका रहे सब
कब तक भरोगे मटकी जल की,

उठो लड़ो नकली चेहरों से
धार बहे कब तक असुंवन की,

भय की रस्सी जला भी डालो
हिम्मत दिखा डालो अब मन की,

आगे ही आगे बढ़ते जाओ
छोड़ो चिंता तुम अब कल की,

पल-पल खुश तुम रहना सीखो
खबर रखो अपने हर पल की

राजेश सिंह

पिता. :श्री राम चंद्र सिंह जन्म तिथि. :०३ जुलाई १९७५ शिक्षा. :एमबीए(विपणन) वर्तमान पता. : फ्लैट नं: ऐ/303, गौतम अपार्टमेंट रहेजा टाउनशिप, मलाड (पूर्व) मुंबई-400097. व्यवसाय. : मुख्य प्रबंधक, राष्ट्रीयकृत बैंक, मुंबई मोबाइल. :09833775798/08369310727 ईमेल. :raj444singhgkp@gmail.com