मुक्तक/दोहा

“चतुष्पदी”

सादर नमन साहित्य के महान सपूत गोपाल दास ‘नीरज’ जी को। ॐ शांति।

सुना था कल की नीरज नहीं रहे।

अजी साहित्य के धीरज नहीं रहे।

गोपाल कभी छोड़ते क्या दास को-

रस छंद गीत के हीरज नहीं रहे॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ