गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल 1

यहां लगता नहीं है दिल अपना
आओ हम दोनों कहीं और चलें।

जहाँ खुशबू वफा की आती हो
जहां चाहत के रोज फूल खिलें।

प्यार ही प्यार हो जिस दुनियां में
जहां नफरत लिये न लोग मिलें ।

जहां दिल को सुकून ए राहत हो
दर्द और आहें न सीने में पलें।

इन चिरागों का क्या करना हमें
चांद सूरज जहाँ राहों में जलें।

दूर दुनिया से चलें ‘जानिब’ जहाँ
तुम हमसे मिलो, हम तुमसे मिलें।

पावनी जानिब, सीतापुर

*पावनी दीक्षित 'जानिब'

नाम = पिंकी दीक्षित (पावनी जानिब ) कार्य = लेखन जिला =सीतापुर