बाल कविता

मैं हिम्मत तुझसे लेता हूं

चंदामामा मुझे रोज कहें,
हर रोज दूध तू पी लेना,
मां दूध का प्याला दे देना,
मैं चाहूं स्वस्थ हो जी लेना,

पानी में आटा घोलके तू,
मत कहना पी ले दूध जरा,
इससे बेहतर है साफ कहो,
नहीं दूध के पैसे समझ जरा.

इतना तो नादान नहीं मैं,
आखिर मां तेरा बेटा हूं,
तेरी हिम्मत मेरी हिम्मत,
मैं हिम्मत तुझसे लेता हूं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “मैं हिम्मत तुझसे लेता हूं

  • लीला तिवानी

    समय बहुत ही है अनमोल
    देता अनगिन रस्ते खोल
    समय की सीमा को पहचानो
    कभी न गर्व से बोलो बोल
    प्यार करोगे अगर समय से
    समय करेगा तुमसे प्यार
    समय बनाता भाग्य हमारा
    समय ही है जीवन का सार.

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