ब्लॉग/परिचर्चा

चुटकुलों की दुनिया

सुबह-सुबह उठते ही एक मज़ेदार चुटकुला पढ़ने को मिल जाए, तो होठों पर मुस्कुराहट आ जाती है और दिन मजेदार हो जाता है. एक चुटकुला जो कभी भूलता नहीं-

मिर्ची का मौसम

”पत्नी: अजी सुनते हो, मिर्ची किस मौसम में लगती है?

पति: इसका कोई खास मौसम नहीं है. जब सच बोलो तब लग जाती है.”

इस चुटकुले से हंसी तो आ ही जाती है, एक कड़वा सत्य भी समझ में आ जाता है, कि कड़वा सच होते हुए भी कड़वा होता है. अब कड़वी तो दवाई भी होती है, लेकिन ठीक होने के लिए दवाई लेना आवश्यक हो जाता है. सत्य को भी स्वीकारना ही पड़ता है, भले ही वह कड़वा हो. देखा चुटकुले का जादू! मनोरम्जन केसाथ ज्ञानवर्द्धन भी.

सारी दुनिया चुटकुलों की कायल है. जी हां, चुटकुले सबको अच्छे लगते हैं और सब जगह सुने-सुनाए जाते हैं. यह भी एक स्टाइल है जी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अफ्रीकी देश युगांडा के दौरे पर भारत-युगांडा बिजनस फोरम की बैठक को संबोधित किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जहां एक तरफ, युगांडा के विकास में मदद के लिए प्रतिबद्धता दिखाई तो दूसरी तरफ उन्होंने एक चुटकुले के जरिए भारत के प्रतिद्वंद्वी देशों के सस्ते सामान खरीदने के नुकसान भी बता डाले. यह हमारा स्टाइल है. चुटकुला इस प्रकार है-

पंखा हिलाना है या मुंडी?

पीएम मोदी ने भारत की मशीनें महंगी होने की वजह बताते हुए एक कहानी भी सुनाई। उन्होंने कहा, ‘मैं जब छोटा था तो एक चुटकुला सुना करता था कि एक बस स्टॉप पर गरीब लड़का पंखा बेच रहा था, जो एक रुपये में पंखा दे रहा था. दूसरे वाले ने आठ आने बताया, तीसरा 4 आने में पंखा दे रहा था. एक शख्स ने 4 आने वाला पंखा लिया लेकिन 3-4 बार पंखा हिलाने में ही टूट गया. उसने तुरंत पंखा वाले को पकड़ा और बताया, लेकिन पंखा वाले ने जवाब दिया कि मैंने पंखा हिलाने को थोड़ी कहा था, पंखा नहीं मुंडी हिलानी थी.’
इस प्रकार एक सीख दे दी. हो सकता है शुरू में चीजें महंगी हो लेकिन वे लंबे समय तक चलेंगी. सस्ती चीजें खरीदेंगे वो खराब रहेंगी महीनों क्योंकि उन्हें ठीक करने वाला भी उसी देश से लाना पड़ेगा. मैं विश्वास दिलाता हूं कि जीरो डिफेक्ट के साथ हम आपको मशीन देने, टेक्नॉलजी देने को तैयार हैं. हां, वो महंगा होगा शुरू में. कोई चिल्लाएगा भी कि ये महंगा है, ये कैसी सरकार है. पहले वाला सस्ता था, लेकिन तय आपको करना है कि पंखा हिलाना है या मुंडी हिलानी है?’

यह तो वही बात हुई न! ”सस्ता रोए बार-बार, महंगा रोए एक बार.” अब ये मशीनें लेना तो युगांडा को तय करना है, लेकिन चीन को डर लग गया है, क्योंकि उसकी चीज़ें सस्ती होती हैं, लेकिन नो गारंटी वाली. हुआ न एक तीर से कई शिकार!
शुद्ध हास्य वाले चुटकुला भी बहुत मजेदार होते हैं.

पापा और बेटा

पापा: बेटा लड़कीवाले आ रहे हैं, उनके सामने थोड़ी लंबी-लंबी बातें फेंकना. 
लड़कीवालों के आते ही… 
बेटा: पापा, जरा चाबी देना। ट्रेन धूप में खड़ी है, अंदर कर देता हूं.

अरे भाई, लगता है बहुत ज्यादा फेंक दी.

* * * * * * *

पत्नी और पति या नफा और नुकसान!

पत्नी: क्या हुआ जी? 
पति: आज हमारे ऑफिस की बिल्डिंग गिर गई. सारे लोग मर गए. 
पत्नी: तो आप कैसे बचे? 
पति: मैं सिगरेट पीने बाहर गया हुआ था ना. 
पत्नी: चलो शुक्र है भगवान का… 
और जैसे ही थोड़ी देर बाद टीवी पर खबर आई कि सरकार ने मृतकों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये देने का फैसला किया है… 
पत्नी: न जाने तुम्हारी यह सिगरेट की आदत कब छूटेगी?

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गिटार का टैटू

सोनू: मैंने अपने शरीर पर गिटार का टैटू बनवाए हैं. 
मोनू: तो? खुजलाने पर पर बजता है क्‍या?

लो और बोलो?

आप भी तो कुछ बोलिए न! बोलिए न सही कामेंट्स में कोई अच्छा-सा चुटकुला ही लिख भेजिए.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “चुटकुलों की दुनिया

  • लीला तिवानी

    आज का चुटकुला

    पप्‍पू और राजू

    पप्‍पू: कुत्‍तों का भी गजब हाल हो गया है।
    राजू: क्‍यों, क्‍या हुआ?
    पप्‍पू: अरे जब से उन्‍हें पता चला है कि अब 14 नहीं, 1 ही सुई लगती है, काटते कम और दौड़ाते ज्यादा हैं।

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