मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

तर्क तौलते हैं सभी, लिए तराजू हाथ।

उचित नीति कहती सदा, मिलों गले प्रिय साथ।

माँ शारद कहती नहीं, रख जिह्वा पर झूठ-

ज्ञान-ध्यान गुरुदेव चित, अर्चन दीनानाथ॥-1

प्रथम न्याय सम्मान घर, दूजा सकल समाज।

तीजा अपने आप का, चौथा हर्षित आज।

धन-निर्धन सूरज धरा, हो सबका बहुमान-

गाय, भाय, बेटी-बहन, माँ- ममता अधिराज॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ