सामाजिक

इंसानियत ढूंढने कहां जाएं?

हमारे सामने ही एक समय ऐसा भी था, जब मानवता का बोलबाला था, आटे में नमक की तरह कहीं-कहीं दानवता दिख जाती थी. आज समय परिवर्तित हो गया है. आज इंसानियत को ढूंढने के लिए अभियान चलाना पड़ता है, तब कहीं जाकर कभी-कभार इंसानियत के दर्शन हो पाते हैं.

इंसानियत को ढूंढने के लिए हम बिहार के एक शेल्‍टर होम में पहुंचे. शेल्‍टर होम में तो इंसानियत के दर्शन होने की पूरी-पूरी संभावना थी. शेल्‍टर होम में तो दीन-दुखियों-मिस्कीनों को शेल्‍टर मिलता है न! पर दूर के ढोल सुहावने निकले.

शेल्‍टर होम में जाकर पता चला, कि यहां शेल्‍टर के नाम पर काली करतूतों का खेला जारी है. नाबालिग व अनाथ बच्चियों के लिए सरकारी अनुदान पर एनजीओ द्वारा संचालित बालिका गृह में ही संचालकों द्वारा ही 34 बालिकाओं की अस्मत पर हमला होगया. जनमानस को हिला देने वाले इस कांड पर अब आरोपियों को निर्दोष बताये जाने और बचाये जाने का खेल खेला जा रहा है.

घर में इंसानियत ढूंढने की कोशिश की तो वहां भी इंसानियत के बदले अत्याचार मिला. उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक शख्स को जब उसकी पत्नी ने शराब पीने से मना किया तो उसने न सिर्फ अपनी पत्नी की पिटाई की बल्कि अपनी डेढ़ महीने की दुधमुंही बच्ची को पानी में डुबोकर मार डाला. बेटी की हत्या के बाद से आरोपी फरार है.

विदेश में भी यही देखने को मिला. पश्चिमी रूस में एक महिला को अपनी दोस्त की 13 साल की बेटी की वर्जिनिटी बेचने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार किया गया है. वह नाबालिग को एक रात के लिए ऐसे शख्स के साथ भेजना चाहती थी जो उसकी ज्यादा से ज्यादा रकम दे सके. एलीना कुकनोवा नाम की महिला को इस मामले में दोषी पाया गया और 3.5 साल की जेल हो गई है. एलीना का कहना है कि बच्ची का मां इरीना ग्लेडकिख ने ही उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था.

बहिन के घर भी यही हाल देखने को मिला. जो बहिन उसे रोज खाना खिलाती थी, रुपयों के लिए उसी का गला घोंटकर कत्ल कर दिया और हथौड़े से दोनों बच्चों के सिर के टुकड़े कर डाले. आरोपी का चाल चलन सही न होने से उसकी पत्नी उसे छोड़ गई थी. तब बहन गुरविंदर ने ही पड़ोस में मकान दिलाया और रोजाना उसे खाना भी खिलाती थी.

एक मां जो अपने बच्चे को 9 महीने तक कोख में रखती है, उसके इस दुनिया में आने का बेसब्री से इंतजार करती है, अगर वही मां बच्चे पैदा होते ही दो-तीन घंटे के अंदर उसका गला घोंटकर उसे मार दे तो..? दिल्ली के एक अस्पताल में ऐसी ही घटना सामने आई है. दिल्ली के ESIC अस्पताल में रीता देवी नाम की एक महिला ने शनिवार को एक प्यारी-सी बेटी को जन्म दिया लेकिन थोड़ी देर बाद ही उसका गला घोंटकर मार दिया. बताया जाता है कि रीता देवी ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पहले से दम्पत्ति की दो बेटियां थीं और वे तीसरी बेटी नहीं चाहते थे. माता-पिता में भी इंसानियत नहीं मिली.

इंसानियत ढूंढने के हमारे तो सारे प्रयत्न व्यर्थ गए, अब आप ही बताइए कि इंसानियत ढूंढने कहां जाएं?

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “इंसानियत ढूंढने कहां जाएं?

  • लीला तिवानी

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