गीत/नवगीत

क्रांतिवीर बनें

क्रांति-दिवस की बेला आई,
आओ कुछ सोचें समझें, 
क्रांति-दिवस से प्रेरणा लेकर,
क्रांति करें, क्रांतिवीर बनें.

भारत का इतिहास बताता,
9 अगस्त है क्रांति-दिवस,
इस दिन शुरु हुआ आंदोलन,
अंग्रेजों भारत छोड़ो बस.

अगस्त क्रांति मैदान मुंबई,
पर इसकी थी नींव पड़ी,
15 अगस्त 47 में क्रांति से,
पाई हमने जीत बड़ी.

आजादी की सांस के हेतु,
वीरों ने दी कुर्बानी,
आजादी की कीमत क्या थी,
इसी दिवस हमने जानी.

आज भी क्रांति करने हमको,
भले मिली है आजादी,
अगर क्रांति को रोका हमने,
होगी बहुत ही बरबादी.

नदियां प्रदूषित, प्रदूषित सागर,
मिलती नहीं शुद्ध जल की गागर,
हवा प्रदूषित, ध्वनि प्रदूषण,
करे प्रदूषित पल-पल आकर.

शेल्टर होम में रेप हो रहे,
कहां गई फिर आजादी?
पेड़ कट रहे ऐश की खातिर,
यह भी तो है बरबादी.

क्रांति करें
मॉब लिंचिंग के खिलाफ, 
व्यर्थ की ट्रॉलिंग के खिलाफ, 
इनकम टेक्स के दुरुपयोग के खिलाफ, 
अपने विधायकों सांसदों की बड़ी-से-बड़ी गलती का बचाव के खिलाफ, 
विपक्ष को खत्म करने की गंदी साजिशों के खिलाफ, 
अपनी पार्टी की गलत बातों को बढ़ावा देने के खिलाफ,
कूड़े के पहाड़ न बनने देने के खिलाफ,
मौत के चीनी मांझे के उपयोग के खिलाफ,
मौत के संदेश मोमो के खिलाफ,
मौत के कीकी चैलेंज के खिलाफ,
बच्चियों और महिलाओं से नापाक हरकतों के खिलाफ.

 

क्रांति करें
पेड़ काटने वालों के खिलाफ,
गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ,
व्यर्थ मार-पीट करने वालों के खिलाफ,
लूट-पाट करने वालों के खिलाफ,
मिलावट करने वालों के खिलाफ,
अन्याय करने वालों के खिलाफ,
दुर्घटना-ग्रस्त लोगों को देख मुंहं फेर जाने वालों के खिलाफ,
भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ.

 

इनकी खातिर जंग छिड़े तो,
होगी वह सच्ची क्रांति,
आओ क्रांतिवीर बनें हम,
दूर करें जग से भ्रांति.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “क्रांतिवीर बनें

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत् अछि जानकारी भरपूर आजादी दिवस के बारे में कविता बहुत अछि लगी लीला बहन .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको ब्लॉग बहुत अच्छा लगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद

  • लीला तिवानी

    भारत के इतिहास में 9 अगस्त के दिन को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध में समर्थन लेने के बावज़ूद जबअंग्रेज़ भारत को स्वतंत्र करने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में आज़ादी की अंतिम जंग का ऐलान कर दिया जिससे ब्रितानिया हुक़ूमत में दहशत फैल गई। 9 अगस्त, सन् 1942 ई. में इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी इसीलिए 9 अगस्त के दिन को इतिहास में अगस्त क्रांति दिवस के रूप में जाना जाता है। यह आंदोलन मुम्बई के जिस पार्क से शुरू हुआ उसे अब अगस्त क्रांति मैदान के नाम से जाना जाता है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेज़ों को देश से भगाने के लिए 4 जुलाई, सन् 1942 ई. को एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि यदि अंग्रेज़ भारत नहीं छोड़ते हैं तो उनके ख़िलाफ़ व्यापक स्तर पर नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाया जाए। पार्टी के भीतर इस प्रस्ताव को लेकर मतभेद पैदा हो गए और प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने पार्टी छोड़ दी। पंडित जवाहरलाल नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद प्रस्तावित आंदोलन को लेकर शुरुआत में संशय में थे लेकिन उन्होंने महात्मा गाँधी के आह्वान पर अंत तक इसके समर्थन का फ़ैसला किया। वरिष्ठ गाँधीवादियों और समाजवादियों जैसे सरदार वल्लभभाई पटेल और डॉ. राजेंद्रप्रसाद यहाँ तक कि अशोक मेहता और जयप्रकाश नारायण ने इस तरह के किसी भी आंदोलन का खुलकर समर्थन किया। इस दिन को अगस्त क्रांति दिवस भी कहा जाता है.

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