कविता

ऐ मेरे मन के दिये

ऐ मेरे मन के दिये
तू हौशलों से काम ले,
आ रही आंधी इधर
खुद को जरा तू थाम ले ।
काम तेरा जलना है
तू बस सदा जलता रहे,
इन अंधेरों को मिटाके
रोशनी करता रहे ।
जानते हो हर कदम पे
संग तेरे धोखें हुए है,
देख फिर से विघ्न कंटक
रास्ते रोके हुए है ।
पैर छूती ऊर्मियां जो
मोहमय बाधा ही है,
है नहीं मंजिल यहाँ
यह तो सफर आधा ही है ।
राह दे पतवार से जिस
कश्ती में तू सवार है,
है नहीं कुछ भी यहाँ
मंजिल तेरी उस पार है ।
हार कर टूटो नहीं
तुम पे मुझे विश्वास है,
कोशिशें करते रहो
जब तक बदन में श्वांस है ।

नीतू शर्मा 'मधुजा'

नाम-नीतू शर्मा पिता-श्यामसुन्दर शर्मा जन्म दिनांक- 02-07-1992 शिक्षा-एम ए संस्कृत, बी एड. स्थान-जैतारण (पाली) राजस्थान संपर्क- neetusharma.prasi@gmail.com