मुक्तक/दोहा

“मुक्तक”

साहस इनका देखिए, झोली में पाषाण।

कहते हैं मेरा वतन, बात-बात में वाण।

आतंकी के देश से, आया कैसे गैर-

मिला मंच खैरात का, नृत्य कर रहा भाण॥-1

लेकर आओ हौसला, हो जाए दो हाथ।

क्यों करते गुमराह तुम, सबके मालिक नाथ।

बच्चे सभी समान हैं, तेरे मेरे लाल-

उनसे छल तो मत करों, खेलें खाएँ साथ॥-2

शौर्य तुम्हारा देखता, सीधा सकल जहान।

तेरे घर में पल रही, आतंकी पहचान।

नरक किया पावन धरा, सिंधु हुई बेहाल-

कहाँ पाक रहने दिया, वीरों का सम्मान॥-3

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ