गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल-मेरी हिफ़ाज़त कर रहा है

शिक़ायत पर शिक़ायत कर रहा है
अभी भी वो मुहब्बत कर रहा है

बड़ी मेहनत-मशक्कत कर रहा है
वो ख़्वाबों को हक़ीक़त कर रहा है

न ही मंदिर न ही मस्जिद गया वो
मगर फिर भी इबादत कर रहा है

अगर नीयत नहीं है साफ़ उसकी
तो फिर कैसे वो बरकत कर रहा है

तू अपने फ़र्ज़ को ही भूल बैठा
अमानत में ख़यानत कर रहा है

तुझे जो लेना है भाई वो ले ले
तू घर को क्यों अदालत कर रहा है

अभी बैठा है दिल में एक बच्चा
तभी तो वो शरारत कर रहा है

अगर तेरा नहीं मतलब है कोई
तो क्यों इतनी इनायत कर रहा है

मरी है रेप से पीड़ित वो लड़की
मगर हर दल सियासत कर रहा है

शराफ़त की दुहाई दे के भी तू
शरीफ़ों से बग़ावत कर रहा है

बहू-बेटे पिता से आज ख़ुश हैं
वो अब अपनी वसीयत कर रहा है

उसे सच का पता है क्या करे पर
वो तो अपनी वक़ालत कर रहा है

अभी भी मिल रही है माँ को पेंशन
अभी भी बेटा ख़िदमत कर रहा है

कभी सोचा है जो भी कर रहा तू
वो सब किसकी बदौलत कर रहा है

मुझे उस पे यकीं हैं ख़ुद से ज़्यादा
वही मेरी हिफ़ाज़त कर रहा है

डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो. 09415474674