कविता

जियो तो ऐसे जियो

ये तो यथार्थ है एक दिन है मरना,
तो फिर काहे का है मरने से डरना

जीवन जियो बिंदास ना रहो कभी उदास,
जो भी दिन है पास उसे बना लो खास।

ना मन में रखो किसी से भी बैर,
मस्त होकर करो जीवन की सैर।

ये जीवन है बड़ा ही अमूल्य
और रिश्ते नाते है बहुमूल्य

ना धर्म पे न जात पे ना नेताओं के बात पे
रिश्ते निभाओ बस दिल और जज्बात पे

जो हो चुका वो अच्छा हुआ
जो होगा वो भी अच्छा होगा

गलती से भी ना हो कोई गलती
बस ईश्वर से करो यही विनति।

— मृदुल शरण