कविता

मिलनी थी पावन आजादी

मिलनी थी पावन आजादी, कुछ लोंगों ने पाप किया,
राजा बनने की चाहत में, भारत के संग घात किया।
उत्सव जहाँ मनाना था, आजादी मिल जाने की,
रक्त बहा नालियों में, खुशियों पर आघात किया।।

बेबस और लाचार की लाशों को खाया तब गिद्धों नें,
सत्ता का ही खेल रचा था राजनीति के गिद्धों नें।
प्यास बुझाई जब भारत नें लाशों से पटे सरोवर में,
दावत खूब उड़ाई थी तब राजनीति के गिद्धों नें।।

जिन्ना और जवाहर ने क्या खूब प्रपंच रचाया था,
गांधी का लेकर सहारा जनता को भरमाया था।
बटवारे की चाहत में कट गई लाखों-लाखों की मूडी,
जाने कितनी मातृ शक्ति नें इज्जत प्राण गवायाँ था।।

भारत के दो टुकड़े कर जिन्ना नेहरू हर्षाये थे,
राजा बनने की चाहत में भारत-पाक बनाये थे।
गली-गली में लुटी थी इज्जत ना जाने कितनों की
बैठ के गांधी मस्जिद में, हिन्दू को मरवाए थे

।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं