कविता

कलयुग

फिक्र सभी को है,गाँव शहर मोहल्ले की।
जिक्र कोई नही करता ,खुलकर हल्ले की।।

शांति ढूंढने से भी नही, मिल रही जमाने मे ।
हर कोई मस्त है बस, अपनी धुन मे गाने मे ।।

रोज कतल बलवे लूट,बलात्कार भी गाड़ी मे।
छोटी-छोटी बिटिया भी,मिल रही है झाड़ी मे।।

सच मे दहशत दे दिया है,कलयुग ने जमाने मे।
लोग घर फूँक रहे है खुद का,भले अनजाने मे।।

एक- एक शब्द अब वेद रामायण या गीता के ।
नजर आने लगे है फिर,राम रावण और सीता के।।

समय बस नजदीक है ,बचने और बचाने के ।
दिख रही है झलक, इंसान को इंसान की खाने के।।

हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से