लघुकथा

एक बार फिर……

”हे भगवान, मालिक की छोटी-सी पोती दरिया की लहरों में घिर गई है, अब क्या करूं?” फ्रांस के एक पालतू कुत्ते के मन की आहत पुकार थी, ”इसे किसी तरह बचाना ही होगा.” कुत्ते ने जैसे मन में ठान लिया था.
”स्विमिंग करती हुई बच्ची लहरों में घिर गई है. उसे बचाने के लिए मुझे ही कुछ करना होगा. किनारे पर खड़े तथाकथित इंसान तो वीडियो बनाने में मस्त-व्यस्त हैं. मैं तो ऐसा नहीं कर सकता, हालांकि वीडियो बनाना मुझे भी आता है, मालिक ने इस कला में भी मुझे माहिर कर दिया है.” 
”मालिक! कितने अहसान हैं मालिक के मुझ पर! कितने ऐशो-आराम की जिंदगी जीने का मौका दे रहे हैं मालिक मुझे! उनकी छोटी-सी पोती Matyas! हे भगवान मुझे उसे बचाने में कामयाब करना.” खतरे का आभास होते ही उसने परमात्मा से अनुनय करते हुए मन में कहा और कूद पड़ा ”बचाओ-बचाओ” की आर्त्त पुकार करती हुई Matyas को बचाने के लिए.
जल्दी ही वह पकड़ में आ गई. उसने बच्ची के कपड़ों को अपने दांतों से पकड़ा और उसे खींचता हुआ समुद्र के किनारे तक ले आया. रोती-चिल्लाती हुई बच्ची अब खिलखिलाकर हंसने लगी थी, मानो कुत्ता उसके साथ खेल रहा है. कुत्ता इन सबसे बेखबर अपने प्रयास में डटा रहा. 
एक बार फिर उसने अपनी वफादारी और स्वामीभक्ति का परचम लहरा दिया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “एक बार फिर……

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अछि कहानी लीला बहन . कुत्ते इंसान से ज़िआदा भावुकता भरे होते हैं लेकिन हम इंसान समझ नहीं पाते .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. कुत्ते इंसान से ज़िआदा भावुकता भरे होते हैं लेकिन हम इंसान समझ नहीं पाते. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    पालतू कुत्ते अक्सर अपनी वफादारी और स्वामीभक्ति का परिचय देते रहे हैं. कई बार मालिक घर के बाहर खून देखकर बाहर ही चक्कर लगाते हुए कुत्ते को यह सोचकर मार भी डालते हैं, कि इसने हमारे बच्चे को मार डाला है. अंदर जाकर देखते हैं, कि कोई सांप या अन्य जानवर मरा पड़ा है, बच्चा खेल रहा है. कई बार उन्होंने चोर-डाकुओं को भी मार भगाया है. अक्सर अस्पताल जाते हुए मालिक के पीछे पालतू कुत्ते भी अस्पताल तक दौड़ते हुए पहुंचते पाए गए हैं. गली के कुत्ते भी किसी से रोज रोटी का टुकड़ा पाकर उस घर की पूरी निगरानी करते हुए पाए गए हैं.

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