कविता

देखो ऐसे हैं हमारे चमत्कारी कान्हां……

देखो ऐसे हैं हमारे चमत्कारी कान्हां……..

कान्हा ने लिया जन्म जेल में,
खुल गये सारे बंद द्वार,
टूट गईं बेड़ियाँ वासुदेव ,देवकी की,
सो गये सब द्वारपाल ।।

टोकरी में डाल ले चले तब,
करना था समुंदर पार,
झमाझम बारिश में भी ,
बन गया बड़ा सा द्वार ।।

शेषनाग ने दिया ओट बारिश से,
किया वासुदेव ने समुंदर पार,
सुलाया गोकुल में यशोदा के पास ,
ले चले बेटी को कंस को दिया जवाब।।

कहीं मातम कहीं ख़ुशियाँ ,
यही है जीवन का सार,
जीवन निरंतर चलता रहता,
जैसे हो भाग्य की पुकार।।

देखो ऐसे हैं हमारे चमत्कारी कान्हा…….

नूतन ( दिल्ली )

*नूतन गर्ग

दिल्ली निवासी एक मध्यम वर्गीय परिवार से। शिक्षा एम ०ए ,बी०एड०: प्रथम श्रेणी में, लेखन का शौक