यात्रा वृत्तान्त

यात्रा संस्मरण – शिवाना समुद्रम

जब जैन धर्म में चतुर्मास शुरू होता मुझे प्रवास के लिए समय मिलता सदा। इस वर्ष फिर महाराष्ट्र, कर्नाटक जाना हुआ। इसी श्रृंखला में बंगलुरू से 135 किलोमीटर की दूरी पर मंड्या के छोटे से गाँव मलवल्ली में शिवसमूद्रम प्रपात जाना हुआ।
शिव समुद्रम प्रपात कावेरी नदी पर है ।98 मीटर की ऊँचाई से जल गिराता है। इसका उपयोग जल विद्दुत उत्पादन के लिए होता है। इस पर स्थापित जल विद्युत गृह एशिया का प्रथम जल विद्युत गृह है जिसकी स्थापना 1902 में हुई थी।।  ऊंचाई: 98 मी
18 अगस्त की रात से ही ओला बुक करने का प्रयास कर रहे थे पर उपलब्ध ही नहीं थी कोई।19 अगस्त की दोपहर अचानक ही पता चला कि उपलब्ध है।साथ ही चेतावनी कि वहाँ अति वर्षा के कारण स्थिति भयंकर।हमें तो जाना ही था, गए।रास्ते भर कैब के चालक विनोद जी डराते रहे हम सब उन्हें समझाते रहे। कुछ नही होगा।
मलवल्ली आते-आते सड़क किनारे ठाठे मारता पानी अपना रँग दिखाने लगा। हर्ष,रोमांच से टकटकी सी बन्ध गयी। जगह-जगह रास्ते में पपीते, अमरूद, खीरे की नन्ही दुकानों के साथ ही तली मछली की दुकानें। रक्षा व्यवस्था हेतु हर कदम पुलिस के जवान।
दो प्रपात है यहाँ। बाराचुक्की और गगनचुक्की। पहले हम बारा चुक्की गए। हजारों की संख्या में सैलानी थे। जल प्रवाह की उग्रता देखते हुए नीचे जाने की सीढ़ियां बन्द कर दी गईं थीं। ऐसा लगता था समुद्र ने ही पर्वत रूप धारण कर लिया। शाम होती जा रही थी। जल्दी ही हमने गगनचुक्की प्रपात का रुख किया।अगले आधे घण्टे में गाँव पार करते हम गगनचुक्की पर थे।यहाँ पुलिस एक खास स्थान तक जाने के लिए एक दल के वापस आने के बाद ही दूसरे दल को भेज रही थी। यहाँ अपेक्षाकृत प्रपात को निकट से अनुभव किया जा सकता था।कुछ देर फोटो-वीडियो बनाने में गुजरा। फिर प्रपात को देखना-सुनना अनुभव करना नैसर्गिक सुख की प्राप्ति।
अधिकांशतः समुद्र के शांत स्वरूप से ही परिचय था अब तक। चाहे वो गंगासागर का हो या रामेश्वरम का। उग्र रूप मात्र कोवलम में देखा था। किंतु शिवा समुद्रम प्रपात तो सबसे निराला। प्रलयंकारी, मोहक, रोमांचक।अद्भुत। गरजता-दहाड़ता हुआ।
जमीन पर लगी दुकानें वो की रिंग जो अन्य स्थान (चामुंडी हिल) पर 100 रुपए के बताए गए यहां 20 रुपए के। शायद ये कलाकारों का ही गाँव था।
बार-बार आने की चाह लिए हम वापस आए। मिलते हैं जल्दी।
— निवेदिता श्रीवास्तव