कविता

“कुंडलिया”

शिक्षक दिवस, 05-09-2018 के ज्ञान शिरोमणि अवसर पर सर्व गुरुजनों को सादर नमन, वंदन व अभिनंदन

पढ़ना- लिखना, बोलना, विनय सिखाते आप।

हर अबोध के सारथी, वीणा के पदचाप॥

वीणा के पदचाप, आप शिक्षक गुरु ज्ञानी।

खड़ा किए संसार, बनाकर के विज्ञानी॥

कह गौतम कविराय, सिखाते पथपर बढ़ना।

सृजन रंग परिधान, सु-सृष्टि सभ्यता पढ़ना॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ