कविता

“छन्द मुक्त काव्य ”

“शहादत की जयकार हो”

जब युद्ध की टंकार हो

सीमा पर हुंकार हो

माँ मत गिराना आँख आँसू

माँ मत दुखाना दिल हुलासू

जब रणभेरी की पुकार हो

शहादत की जयकार हो।।

जब गोलियों की बौछार हो

जब सीमा पर त्यौहार हो

माँ भेज देना बहन की राखी

अपने सीने की बैसाखी

वीरों की कलाई गुलजार हो

शहादत की जयकार हो॥

जब चलना दुश्वार हो

वर्फ की ठंडी बौंछार हो

माँ भेजना आँचल की गर्मी

देश की हलचल व मर्मी

तेरा लालन खुद्दार हो

शहादत की जयकार हो!

शहादत की जयकार हो!

शहादत की जयकार हो!

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ