लघुकथा

अंतिम पौधा

 

चौबीस वर्षीया रजनी की अजीबोगरीब हरकतों से उसकी माँ कमला सकते में थी । बहुत सारे अच्छे रिश्तों को वह ठुकरा चुकी थी । उसे मर्दों और शादी के नाम से चिढ थी ! एक दिन उसने अपनी कमला को बताया था ” माँ ! तुम क्यों मेरी शादी के पीछे पड़ी हो ? शादी करना ही तो जिंदगी का एकमात्र मकसद नहीं होता ? मैंने फैसला कर लिया है कि मैं अपनी सहेली पूजा के संग ही सारी जिंदगी रह लूँगी । उसके और मेरे विचार काफी मिलते जुलते हैं और वह भी मेरे साथ रहने के लिए तैयार है । ”
हतप्रभ और निराश कमला ने उसे कई तरह से समझाने के बाद आखिर में उसे कानून की दुहाई देते हुए कहा था ,” लेकिन बेटा ! तुम जो चाह रही हो वह सर्वथा कानूनन अपराध भी है ! ” लेकिन उसके कानों पर जूं नहीं रेंगनी थी नहीं रेंगी ।
आज समाचार देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की खबर आते ही रजनी ख़ुशी से उछल पड़ी । ख़ुशी से चहकते हुए रजनी ने कमला को आवाज लगाई ,” माँ ! देखो ! अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी समलिंगी संबंधों को मान्यता दे दी है । अब मैं कानूनी तौर पर पूजा के साथ रह सकती हूँ ! ”
कमला से कुछ कहते न बना । उसे ईशारे से अपने पीछे आने के लिए कहकर वह घर से बाहर उस बड़े से आम के पेड़ के नीचे खड़ी हो गई । रजनी के नजदीक आते ही कमला ने कहना शुरू किया ,” बेटा ! ज्यादा नहीं कहूँगी ! जानती हूँ तुम समझदार हो ! लेकिन मेरी कुछ शंकाएं हैं क्या तुम उसका समाधान कर सकती हो ? ”
” हाँ ! क्यों नहीं माँ ! पूछिये ! आप क्या पूछना चाहती हैं ? ”
” बेटा ! यह आम का पेड़ है देख ही रही हो ! वह सड़क के उस पार गुलमोहर का पेड़ भी देख रही हो ! दोनों में से कौन सा पेड़ ज्यादा पसंद किया जाता है और क्यों ? ”
” माँ ! यह क्या बच्चों वाला सवाल है ? सीधी सी बात है आम का पेड़ ज्यादा पसंद किया जाता है ! उससे फल मिलता है , पूजा के काम भी आता है और छायादार भी है जबकि गुलमोहर तो सिर्फ छायादार ही है । ”
” सही कहा बेटा ! किसी काम नहीं आनेवाला गुलमोहर का पेड़ भी छायादार तो होता है और इसीलिए गुलमोहर के पौधों का भी संरक्षण किया जाता है ,नए पौधे उगाये जाते हैं और लगाये जाते हैं ताकि यह जाति विलुप्त न हो जाय ! और तुम चाहती हो कि तुम्हारे जैसा आम का पौधा जिसमें छायादार होने के साथ ही फलदार होने की अपार संभावनाएं हैं , हम यह मान लें कि वह हमारे लिए अंतिम पौधा है जिसमें कोई फल नहीं लगना है ? “

*राजकुमार कांदु

मुंबई के नजदीक मेरी रिहाइश । लेखन मेरे अंतर्मन की फरमाइश ।