कविता

फूलों की कविता-15

                फूलों की 21 कविताएं से संग्रहीत

 

15. फूल

 

 

रंगबिरंगे होते फूल,

सबको हैं महकाते फूल।

कांटों में भी शीश उठाकर,

हंसते और हंसाते फूल॥

मुरझाकर भी बड़ी शान से,

अपनी महक लुटाते फूल।

कोमल-कोमल, सुंदर-सुंदर,

प्रभु की प्यारी रचना फूल॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फूलों की कविता-15

  • लीला तिवानी

    फूल की जिंदगी ही क्या है! कई-कई दिनों में एक कली से फूल बनता है. उसकी सुंदरता से मोहित होकर उसे तोड़ लिया जाता है, या फिर तेज हवा से उसकी पति-पति झरकर बिखर जाती है. उसके बावजूद फूल हंसते-हंसाते रहते हैं. फूल को कभी किसी ने रोते हुए नहीं देखा. इतना ही नहीं, वे फूल तोड़ने वाले के हाथ को भी सुवासित कर देते हैं और हवा को भी महकीला कर देते हैं. अद्भुत है फूलों का संदेश.

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