क्यों मिले हो मुझे, जिन्दगी के इस मोड़ पर…
क्यों मिले हो मुझे, जिन्दगी के इस मोड़ पर
अपनाना चाहूं मैं… फिर भी तुझे अपना न सकूं !!
क्यों करते हो हमसे , अक्सर ख्वाहिशें ऐसी
हकीक़त का जामा… जिनको मैं पहना न सकूं !!
सख्त पहरे हैं, इस दुनिया के हम दोनों पर
मजबूर इतने हैं… ख्वाबों में भी तेरे आ न सकूं !!
यकीं है तुम पर, हद से ज्यादा ऐ जाने- जिगर
निभाना चाहूं मैं… पर रिश्ता अपना निभा न सकूं !!
बँधे हुए हैं हम दोनों, रिश्तों के ऐसे बंधन से
पाना चाहूं हूँ तुझे… फिर भी मैं तुझे पा न सकूं !!
अंजु गुप्ता