कविता

बेटीं पराई नहीं

बेटीं पराई नहीं होतीं
यह सिर्फ झूठी मान्यता है
बेटी पराये घर जाती है
तो क्या जिस घर में
जन्मी/ पली/ बढी/ पढी-लिखी
उसे भूल जाती है
कदापि नहीं…
वो हमेशा दो माँओं और दो पिताओं के बीच
संसार के रिश्तेनातों को बखूबी निभाती है
बेटी पराई होकर भी पराई नहीं होती है |
हमें अपने मन से ये बहम निकाल देना चाहिए
कि बेटी पराया धन है
बेटी लक्ष्मी का अवतार है
प्यार का उपहार है |
कन्यादान सबसे बड़ा दान है
बेटी को बचाओ
पढाओ-लिखाओ काबिल बनाओ
दहेज की होली जलाओ
बेटी पराया धन है
मन से बहम मिटाओ |
बेटीं बेेटों सी बलवान
ला रहीं पदक जीतकर
निज कुल / देश को बना रहीं महान |
दुर्गा – लक्ष्मी का दौहरा रहीं इतिहास
बस इन नन्हीं – नन्हीं कलियों को
शैतानों से, हैवानों से बचाना है
बेटी का जीवन महकाना है |
बेटी सृष्टि सृजन
दो-दो कुलों की शान
बेटी से ही सारा जहान |
बेटीं पराई नहीं होतीं
मत इनको दुत्कारो
मत कोख में इनको मारो
बेटी-बेटा एक समान
भेदभाव हटाओ
मन के अंधियार मिटाओ
बेटी की किलकारी से घर-आंगन महकाओ |
तुम बस इतना जान लो
बेटी से ही सृष्टि का श्रृंगार है
बेटीं पराई नहीं होतीं…
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111