गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – दर्द को निभाना सीखो

इस दर्द को निभाना सीखो।
करता है जो ज़माना सीखो।।

बहाने ढूंढने से न मिले तो,
बिन बात मुस्कुराना सीखो।

तोहमतों से खौफ खाते हो,
तो तस्सवुरों में आना सीखो।

रह न पाओ जिनके बिना,
उन सब को मनाना सीखो।

बेज़ारी अपनों से नही अच्छी,
नरमी लफ़्ज़ों में लाना सीखो।

हसरतों से कह दो जा कर,
ज़रा चादर में समाना सीखो।

मिले आसमां तो भी ये पांव,
ज़मीं पर थोड़े टिकाना सीखो।

लोगों का क्या भरोसा ‘लहर’,
पास खुद के भी आना सीखो।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा