कविता

फूलों की कविता-16

                                   फूलों की 21 कविताएं से संग्रहीत

16. हरसिंगार के फूल

नाम हमारा हरसिंगार है,

शरद ऋतु में खिलते हैं।

नन्हे-नन्हे श्वेत सुमन हम,

रात में खिलते-झरते हैं॥

वैभव की हमें चाह नहीं है,

पूजा की परवाह नहीं।

बालों या माला में सजने,

की भी हमको चाह नहीं॥

हम तो जग को सुंदर करके,

दे सुगंध झर जाएंगे।

फिर अवसर-मौसम आने पर,

सेवा करने आएंगे॥

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फूलों की कविता-16

  • लीला तिवानी

    फूल की कहानी सुनिए उसी की जुबानी. फूल का कहना है- सबकी तरह हम भी टूटने या झरने के लिए ही पैदा हुए हैं, पर झरकर मरने से पहले, जग सुरभित कर जाएंगे. अनुकूल मौसम आने पर फिर सेवा करने का अवसर मिला, तो फिर झरने के लिए ही सही, आएंगे और जग को सुंदरता देकर सुरभित कर जाएंगे.

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