इतिहास

आर्यसमाज की महान विभूति- डॉ भवानी लाल भारतीय

भवानी लाल भारतीय जी का आज रात को देहावसान हो गया। उनका जाना बहुत ही दुखद समाचार है। वैदिक साहित्य तथा आर्य समाज के लिए यह अपूरणीय क्षति है, ऋषि दयानंद के जीवन पर जितना साहित्य उन्होंने दिया वह उनकी अद्वितीय देन है, उनकी स्मृति को शत शत नमन !
स्वामी दयानंद कि वैदिक विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने में हज़ारों आर्यों ने अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया। साहित्य सेवा द्वारा श्रम करने वालो ने पंडित लेखराम की अंतिम इच्छा को पूरा करने का भरपूर प्रयास किया। डॉ भवानीलाल भारतीय आर्य जगत कि महान विभूति हैं जिनका सम्पूर्ण जीवन साहित्य सेवा द्वारा ऋषि के ऋण से उऋण होने के लिए प्रयासरत रहा। राजस्थान के नागौर जिले के परबतसर ग्राम में 1 मई 1928 को भारतीय जी का जन्म हुआ। प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात आपने अध्यापन करते हुए हिंदी एवं संस्कृत दो भाषाओँ में एम.ए किया। कालांतर में आपने आर्यसमाज की संस्कृत भाषा को देन विषय पर शोध प्रबंध लिखा जिसे पंडित भगवत दत्त सरीखे मनीषी द्वारा सराहा गया। आप आर्यसमाज पाली,अजमेर के प्रधान, आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान, परोपकारिणी सभा, सार्वदेशिक सभा के अधिकारी भी रहे। आप स्वामी दयानंद चेयर, पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के अध्यक्ष पद से सेवा निवृत हुए।
डॉ भारतीय जी का लेखन-
१. तुलनात्मक अध्ययन विषयक ग्रन्थ
ऋषि दयानंद और अन्य भारतीय धर्माचार्य,महर्षि दयानंद और राजा राममोहन राय, आधुनिक धर्म सुधारक और मूर्तिपूजा, महर्षि दयानंद और स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद और ईसाई मत,
२. वेद विषयक ग्रन्थ
वेदों में क्या हैं?, वेदाध्ययन के सोपान, उपनिषदों की कथाएं भाग १, ऋग्वेद-यजुर्वेद-सामवेद एवं अथर्ववेद परिचय, वेदों की अध्यात्मधारा, वैदिक कथाओं का सच, उपनिषदों की अध्यात्म धारा,ऋग्वेद-यजुर्वेद-सामवेद एवं अथर्ववेद अध्यात्म शतक,
३. ऋषि दयानंद विषयक ग्रन्थ
महर्षि दयानंद का राष्ट्रवाद, ऋषि दयानंद और आर्यसमाज की संस्कृत भाषा और साहित्य को देन, महर्षि दयानंद श्रद्धांजलि, महर्षि दयानंद प्रशस्ति, ऋषि दयानंद के ऐतिहासिक संस्मरण, स्वामी दयानंद के दार्शनिक सिद्धांत, दयानंद साहित्य सर्वस्व, महर्षि दयानंद प्रशस्ति काव्य,मैंने ऋषि दयानंद को देखा, ऋषि दयानंद की खरी खरी बातें, ऋषि दयानंद के चार लघु चरित, दयानंद चित्रावली (अंग्रेजी),swami dayanand saraswati his life and ideas- shiv nandan kulyar,
४. महापुरुषों के जीवनचरित
श्री कृष्ण चरित, पंडित गणपति शर्मा, स्वामी दर्शनानन्द, महात्मा कालूराम जी, कुंवर चाँद करण शारदा, नवजागरण के पुरोधा-स्वामी दयानंद, पंडित श्याम जी कृष्ण वर्मा, ऋषि दयानंद के भक्त,प्रशंसक और सत्संगी, श्रद्धानन्द जीवनकथा, राजस्थान के आर्य महापुरुष
५. आर्यसमाज विषयक ग्रन्थ
आर्यसमाज के शास्त्रार्थ महारथी, आर्यसमाज के वेद सेवक विद्वान, परोपकारिणी सभा का इतिहास, आर्यसमाज का अतीत और वर्तमान, आर्यसमाज के पत्र और पत्रकार, आर्यसमाज विषयक साहित्य परिचय, आर्यसमाज का इतिहास-पांच खंड का विवेचन, आर्यसमाज के बीस बलिदानी,
६. स्वामी दयानंद के ग्रंथों का संपादन
चतुर्वेद विषय सूची, ऋग्वेद के प्रारंभिक २२ मन्त्रों का भाष्य, दयानंद शास्त्रार्थ संग्रह, दयानंद उवाच, महर्षि दयानंद कि आत्मकथा, उपदेश मंजरी,पंडित लेखराम रचित स्वामी दयानंद का जीवनचरित
७. अन्य ग्रन्थ
बालकों की धर्म शिक्षा, पंडित रूद्र दत शर्मा ग्रंथावली भाग १, शुद्ध गीता, दयानंद दिग्विजयार्क, कविरत्न प्रकाशचंद्र अभिनन्दन ग्रन्थ, पंडित महेंद्र प्रताप शास्त्री अभिनन्दन ग्रन्थ, स्वामी भीष्म अभिनन्दन ग्रन्थ, श्रद्धानन्द ग्रंथ्वाली ९ भाग, ऋषि दयानंद प्रशस्ति, श्री दयानंद चरित
८. विभिन्न ग्रन्थ
विद्यार्थी जीवन का रहस्य, ब्रह्मवैवर्त पुराण की आलोचना, महर्षि दयानंद निर्वाण शताब्दी व्याख्यान माला, आर्य लेखक कोष-१२०० आर्यविद्वानों का लेखन परिचय,
९. सत्यार्थ प्रकाश विषयक ग्रन्थ
ज्ञानदर्शन-एकादश समुल्लास की व्याख्या, विश्व धर्म कोष -सत्यार्थ प्रकाश , हिन्दू धर्म की निर्बलता
१०. अनूदित ग्रन्थ
श्रीमद्भागवत (गुजराति), मीमांसा दर्शन (गुजराति), आर्यसमाज -लाला लाजपत राय (अंग्रेजी), श्रद्धानन्द ग्रंथ्वाली – कांग्रेस एंड आर्यसमाज एंड इट्स डेट्रेक्टर्स, पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी-लाला लाजपत राय कृत का हिंदी अनुवाद, सूरज बुझाने का पाप (गुजराति)
इसके अतिरिक्त आर्यसमाज कि विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 1000 के करीब शोधपूर्ण लेख भी शामिल हैं।
डॉ भारतीय जी की साहित्य साधना करीब एक लाख पृष्ठों से अधिक हैं और 50 से अधिक वर्षों का साधना और तप का परिणाम हैं।इस अवसर पर मैं केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यपाल सिंह जी से डॉ भारतीय जी की स्मृति में देश के शीर्घ विश्विद्यालय में उनकी स्मृति में चेयर स्थापित करने की विनती करता हूँ। इस चेयर से उनके द्वारा लिखित सकल साहित्य को न केवल सुरक्षित किया जाये अपितु उस पर शोद्यार्थी शोध भी करे।
— डॉ विवेक आर्य