कविता

वो दिन अब ना रहे !!

बड़ी जिद होती है सुनने की कहानी,
कहानी मे एक राजा और एक रानी,
जब कभी ननिहाल हम जाते थे,
प्रेम नाती को सब ,देने को आते थे।

गाँव हो परिवार ,चाहे कोई करीब का,
गाँव का नाती,ना अमीर ना गरीब का,
सबके अपने-अपने अंदाज,प्यार का,
सच मे वो दिन होता था,बहार का।

गाँव की बहन बेटियाँ, पूरे गाँव की ,
पीपल बरगद जैसा, एहसास छाँव की,
गाँव का प्यार, चाचा चाची के बोल,
बड़ों की इज्जत, तोल-तोल के बोल।

गुरु को देख , सायकल से उतरना,
सादर प्रणाम, बरना घर पर उलहना,
बड़े छोटे का भाव, ऐसा होता था गाँव,
अब सब शहर जैसा, ना कोई भाव ।

— हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से