कविता

मन निशब्द

मौन हुए शब्द,कलम भी निशब्द है।
अंतरात्मा क्षुब्द,दिमाग भी ध्वस्त है।।

मन की चीख़ों की मन मे मौत हो गयी।
दिल की अग्नि लगभग शिथिल हो गयी।।

जिज्ञासाओ का यौवन भी प्रौढ़ हो गया।
बनते जहाँ स्वप्न,वो शयनकक्ष खो गया ।।

अपनेपन की एक तस्वीर तराश रहा हूँ।
बुझे चूल्हे पर गर्म रोटियां बना रहा हूँ।।

सच्चे मन की बोली अब व्यर्थ हो गयी।
झूठे चेहरे की बोली अब सही हो गयी।।

बस अब जीवन को अपने मौन कर लिया।
पहले ही जीवन मे कौन अपना था,
सन्नाटों में अपना अलग जॉन कर लिया।।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- neerajtya@yahoo.in एवं neerajtyagi262@gmail.com ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)