गीत/नवगीत

कलयुगी दर्द!!

दीवाने से ये मत पूछो ,ये क्या दर्द छुपाये बैठा है ।
तन -मन सब विह्वल है ,तो मन मुरझाये बैठा है ।।

हंसी नहीं है ख़ुशी नहीं है ,
जहां भी देखू ,कंही नहीं है ,

मुख पर ताले अग्नि सिने में ,दफ़न पड़ी है बैठा है ।
कंस नहीं सुनता संतो की ,जंजीर बाँधकर बैठा है ।।

गलियों में सन्नाटा लगता ,
जिसको देखो ,वही अकड़ता ,

कैसे सम्हले नारी सीता ,रावण घात लगाए बैठा है ।
कांडा ,मदेरणा ,तिवारी कुकर्मी ,जुल्म बनाए बैठा है ।।

मर्यादा सब टूट रही है ,
अपनी किस्मत फुट रही है ,

साधू संत अपमानित है अब ,मौन ही मोहन बैठा है ।
उजियारे की अब आस लगाए , ‘हृदय’ कब से बैठा है ।।

हृदय जौनपुरी ।।

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से