राजनीति

अच्छे दिन कब आएंगे? – प्रधानमंत्री मोदी जी के नाम खुला पत्र

(17 सितम्बर को मोदी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष पर विशेष रूप से प्रकाशित)
“अच्छे दिन आ गए है” सन 2014 में जब मोदी जी की सरकार बनी थी तो मोदी जी ने यह सन्देश दिया था। इस सन्देश के यथार्थ होने की प्रतीक्षा समस्त हिन्दू समाज शताब्दियों कर रहा हैं। बहुमत से सत्ता मके सिंहासन पर विराजमान आपकी सरकार से हमें बहुत अपेक्षा है। पर सत्य यह है कि इससे पहले कि आप हिन्दू समाज की अनेक चिरकालीन समस्याओं का समाधान करते। आपको विरोधियों द्वारा घेर लिया गया। आगरा की घर वापसी, अख़लाक़ मामला, असहिष्णुता, गौरक्षक, पुरस्कार वापसी, भीमा कोरेगाव, महंगाई, पेट्रोल-डीजल आदि निर्मित विवादों को देश में एक विशेष गुट ने इतना उछाला गया। ताकि आप भ्रमित हो जाये। हिन्दू समाज अपनी अपेक्षाओं के चलते वह नोटबंदी और GST जैसे कड़े फैसलों को भी झेल गया। पर आपसे जिन मुद्दों को लेकर वह आस लगाए हैं। उनकी ओर आपका ध्यान मैं दिलाना चाहता हूँ। 2019 के चुनावों से पहले कृपया उन पर ध्यान अवश्य दीजिये।
१. गौरक्षा हिन्दू समाज का सदियों से अपेक्षित मुद्दा है। कुतर्क और मतान्धता हिन्दुओं की भावनाओं पर भारी पड़ती दिखती हैं। ऐसे में राजसत्ता ही एकमात्र विकल्प हैं। गौहत्या पर कठोर से कठोर कानून एवं उसकी अवमानना न हो ऐसा राजनियम बनाया जाये। अगर ऐसा किया जाता तो न गौरक्षकों को सड़कों पर उतरना पड़ता। न उनके लिए कोई गुंडा जैसा शब्द प्रयोग करता। न ही विरोधी अपने षडयंत्रों में सफल होते।
२. ईसाई धर्मान्तरण को क़ानूनी रूप से प्रतिबंधित किया जाना। ईसाई मिशनरी साम, दाम, दंड और भेद की नीति से धर्मान्तरण करती हैं। किसी से कुछ छिपा नहीं हैं। क्या कठोर नियम बनाकर और धर्मान्तरण करने वालों को जेल में डालकर हिन्दू समाज के वंचितों की रक्षा नहीं की जा सकती? ऐसा कानून बनना चाहिए।
३. कश्मीर में धारा 370 और 35A हटाकर गैर कश्मीरी हिन्दुओं को वहां पर बसने का विकल्प बनाया जाये। हिन्दुओं की आबादी बढ़ते ही अलगाववाद पीछे छूट जायेगा। इसका एक ऊपर जम्मू कश्मीर का विभाजन करन भी हैं। सेना को खुली छूट दे कर भी राष्ट्र रक्षा की जा सकती हैं।
४. पाकिस्तान और बांग्लादेश में बसे हिन्दुओं को स्थायी नागरिकता देकर उनकी रक्षा करना अत्यंत आवश्यक हैं। उन्हें यहाँ पर बसने के लिए सुविधाएँ प्रदान की जाये। जिससे जनसँख्या का समीकरण भी बना रहे।
५. सिखों में अलगाववाद पूरी तरह से पाकिस्तान से संचालित है। जिसे कनाडा और इंग्लैंड जैसे देशों से चलाया जाता हैं। इस अलगाववादी प्रोपेगंडा को तोड़ने एवं पंजाब के युवाओं को इससे बचाने के लिए बुद्दिजीवियों की नियुक्ति कर पाठयक्रम, इतिहास पुस्तकों, सोशल मीडिया, आपसी संवाद आदि के माध्यम से इस प्रोपेगंडा को क्यों नहीं तोडा जा सकता?
६. अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्यों को देश से क्यों नहीं निकाला जाता। केवल असम से ही क्यों। सम्पूर्ण देश से उनका सफाया होना चाहिए। संसद में अध्यादेश बनाकर ऐसा किया जा सकता हैं।
७. साम्यवादी, शहरी नक्सली, कम्युनिस्ट, मानवाधिकार कार्यकर्ता, माओवादी, बुद्धिजीवी, पत्रकार, प्रोफेसर, बॉलीवुड आदि अनेक छदम नामों से विरोधी गतिविधियों में सलंग्न हैं। इनके सुनियोजित षड़यंत्र को असफल करने के लिए राष्ट्रवादी और धार्मिक विचारधारा के बुद्धिजीवी वर्ग के संरक्षण और संपन्न करने की अत्यंत आवश्यकता हैं। सुविधासम्पन्न होने पर यह वर्ग अपने पुरुषार्थ से राष्ट्र और धर्म रक्षा करेगा। तभी वांछित परिणाम निकलेंगे।
८. वेद , रामायण और महाभारत पर शोध के नाम पर वैचारिक प्रदुषण अंतराष्ट्रीय स्तर पर फैलाया गया है। जिसका उद्देश्य युवाओं को भ्रमित करना हैं। देश की अगली पीढ़ी हमारी संस्कृति और संस्कारों से विमुख होती जा रही हैं। इस समस्या का दूरगामी समाधान अत्यंत आवश्यक है। क्यूंकि इससे हमारी आने वाली पीढ़ी के नास्तिक होने का खतरा हैं। बुद्धिजीवियों के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध से लेकर, विश्विद्यालयों के पाठ्यक्रम में परिवर्तन से लेकर, मीडियाआदि में धार्मिक ग्रंथों प्रचार कर इस षड़यंत्र को विफल किया जा सकता हैं।
९. पिछले कुछ वर्षों में मीडिया और बॉलीवुड के माध्यम से अश्लीलता को बहुत प्रचारित किया गया है। इस षड़यंत्र का प्रयोजन युवाओं को चरित्रहीन एवं पथभ्रष्ट करना हैं। छोटी-छोटी बच्चियों से हो रहे बलात्कार इसका दुष्परिणाम हैं। समाज में चरित्रता के पवित्र उपदेश को प्रचारित करना अत्यंत आवश्यक हैं।
१०. हमारे देश का इतिहास इतना विकृत रूप में लिखा गया है कि जिसे पढ़कर ऐसा प्रतीत हो की हम सदा पराजित होते आये। हमने जितनी भी विजय प्राप्त की और विश्व में हम गुरु हुए। उस प्राचीन इतिहास को हमें कभी पढ़ाया ही नहीं जाता। इसलिए इतिहास में परिवर्तन करना अत्यंत आवश्यक हैं। आशा है आप इस ओर ध्यान देंगे।
११. धर्म के नाम पर पाखंड में अत्यंत बढ़ोतरी हुई हैं। समाज धर्म और मत में अंतर तक समझ नहीं पा रहा हैं। ऐसे में मनुष्य कब भ्रमित होकर गलत मार्ग पर चल पड़ता हैं। उसे मालूम ही नहीं चलता। धर्म के स्थान पर किये जाने वाले अन्धविश्वास रूपी कृत्यों पर सामाजिक प्रतिबन्ध लगे। अन्धविश्वास को बढ़ावा दिए जाने वालों के लिए दंड का प्रावधान करना चाहिए।
१२. जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाए बिना देश की उन्नति संभव नहीं हैं। देश के संसाधन सीमित है ,सभी को उच्च सुविधाओं के लिए बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है। बिना किसी मत-मतान्तर के भेदभाव से देश में सम्पन्नता के लिए जनसँख्या के सम्बन्ध में दो बच्चों से अधिक पैदा होने पर सजा का प्रावधान चाहिए।
१३. संस्कृत भाषा एवं गुरुकुल शिक्षा पद्यति को प्रोत्साहन देने की अत्यंत आवश्यकता हैं। प्राचीन वैदिक धर्म के सिद्धांतों पर चल कर ही राष्ट्र और समाज का कल्याण संभव हैं। संस्कृत शास्त्रों जैसे वेद, उपनिषद् , दर्शन आदि आध्यात्मिक विद्या का भंडार है। वह संसार का मार्गदर्शन करने में सक्षम है। वर्तमान में मनुष्य केवल धन संग्रह के पीछे अँधा होकर भाग रहा हैं। ऐसे में वह जीवन के मुलभुत उद्देश्य को भूल गया हैं। संस्कृत विद्या के प्रचार से ही वेद विद्या की प्राप्ति संभव हैं। खेदजनक बात यह है कि देशवासियों के बच्चे संस्कृत के स्थान पर फ्रेंच, जर्मन आदि भाषाओँ को वरीयता दे रहे हैं। बिना संस्कृत सीखे वे धर्मशास्त्रों का कभी ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उनका भविष्य अन्धकारमय नहीं तो क्या होगा? इसलिए संस्कृत को सरकारी रूप में प्रोत्साहन देने की अत्यंत आवश्यकता हैं।
१४. अयोध्या के श्री राम मंदिर, मथुरा के श्री कृष्ण मंदिर जैसे भारत में अनेक धर्मस्थान है। जिन्हें गाठ शताब्दियों से आक्रांताओं ने अवैध रूप से कब्ज़ा किया हुआ हैं। हालात यह है कि इन धर्मस्थलों पर हिन्दू समाज ही पूजा-अर्चना नहीं कर सकता। 1960 के दशक में स्वर्गीय प्रकाशवीर शास्त्री जी एक अध्यादेश संसद में लाये थे। जिसके अनुसार जो स्थान जिस भी धर्मस्थल का है। उसे वह क़ानूनी रूप से सौंप दिया जाये। इस अध्यादेश को आज भी लागु किया जा सकता हैं। केवल इच्छा शक्ति की कमी हैं। इससे न केवल सभी विवाद समाप्त हो जायेंगे। उससे जो यश और कीर्ति आपको मिलेगी। वह ऐतिहासिक कही जाएगी।
१५. अल्पसंख्यक के नाम पर शिक्षा संस्थानों में विशेष लाभ सरकार द्वारा संविधान के अंतर्गत दिए जा रहे हैं। इन प्रावधानों के कारण बहुसंख्यक हिंदी समाज के प्रतिनिधि कोई भी शिक्षा संस्थान खोल नहीं पाते और लाभ लेकर अल्पसंख्यक समाज के शिक्षा संस्थान खूब खुल रहे हैं। ऐसे में बहुसंख्यक हिन्दुओं के बच्चों को उच्च शिक्षा कैसे प्राप्त होगी? बिना शिक्षा के उनका भविष्य क्या होगा? इस विषय में कभी सोचना नहीं गया। इसके अतिरिक्त हिन्दुओं में ही अल्पसंख्यक के लाभ देखकर आपके आपको अल्पसंख्यक घोषित करने की होड़ मच गई हैं। जैन समाज, सिख पंथ, लिंगायत, नाथ सम्प्रदाय, रामकृष्ण मिशन आदि इसके उदहारण हैं। जो अल्पसंख्यक बनकर लाभ उठाना चाहते हैं। ऐसे काले कानून को समाप्त कर सभी को समान अवसर दीजिये। इस न केवल हिन्दुओं का संगठन सुरक्षित रहेगा। अपितु सभी को समान रूप से प्रगति का अवसर प्राप्त होगा।
यह कुछ महत्वपूर्ण विषय है। जिन पर विस्तार से चर्चा की जा सकती हैं। आपके जन्मदिन के शुभ अवसर पर मैं इस सन्देश को सोशल एमडीए के माध्यम से प्रकाशित कर रहा हूँ। मोदी जी हमारे अच्छे दिन तभी आएंगे जब इन प्रावधानों पर अमल किया जायेगा।
डॉ विवेक आर्य