कविता

हमारी हिंदी

                                                         हिंदी पखवाड़े पर विशेष 

कोटि-कोटि कंठों से गूंजी,
हिंदी की नव कोकिल तान,
इस हिंदी पर न्योछावर हैं,
तन-मन-धन और ये प्राण.

हिंदी आन हमारी है अब,
हिंदी ही है सबकी शान.
एक साथ सब मिलकर,
जय हिंदी जय भाषा महान.

तुलसी-मीरा-सूर-रहीमन,
कुतुबन-मंझन इसकी शान,
इसी में छेड़ी तान जिन्होंने,
कबीर-दादू इसकी आन.

पंत-निराला इसके गौरव,
दिनकर-माखन इसके लाल,
गुप्त ने गाए गीत इसी में,
बच्चन जी ने बढ़ाया मान.

वैज्ञानिक है हिंदी भाषा,
लिखने-सीखने में है सरल भी,
राजभाषा की पदवी पाई, 
संपर्क भाषा है हम सबकी,

आओ हिंदी को अपनाएं,
इसके गीत मनोहर गाएं,
भारत मां के चरण युगल में, 
स्नेह-सिक्त सब सुमन चढ़ाएं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “हमारी हिंदी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हिंदी के उपलक्ष में सुन्दर कविता .

  • लीला तिवानी

    हिंदी का उत्थान करने के लिए,
    हिंदी का सूर्य बनो,
    सूर्य न बन सको तो मशाल ही बनो,
    मशाल न बन सको तो दीपक ही बनो,
    दीपक भी न बन सको तो जुगनू ही बनो,
    पर कुछ बनो और हिंदी का उत्थान करो.

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