गीतिका/ग़ज़ल

मुझे मैकदों की खबर दे,अभी प्यालों को खबर न दे

मुझे मैकदों की खबर दे,अभी प्यालों को खबर न दे
मैं खुद को खोना चाहता हूँ ,उजालों की खबर न दे

उलझ के रह गया गया हूँ ज़माने की रहबरी में ही
सुलझाने में कुछ वक़्त लगेगा,ख्यालों की खबर न दे

सो गयी है सारी दुनियादारी,मैं भी सोना चाहता हूँ
मेरी नींद,मेरे ख़्वाबों को तो नालों* की खबर न दे

जो मिला है वही बहुत मिला, इसका बहुत शुकून है
मेरे मिज़ाज़ को दो वक़्त सही,मलालों की खबर न दे

जो जवाब मिले मुझे तुझसे,बहुत चुभते है आज भी
मैं अपनी बात तो कह लूँ,नए सवालों की खबर न दे

* नालों-चिल्लाहट

सलिल सरोज

*सलिल सरोज

जन्म: 3 मार्च,1987,बेगूसराय जिले के नौलागढ़ गाँव में(बिहार)। शिक्षा: आरंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल, तिलैया, कोडरमा,झारखंड से। जी.डी. कॉलेज,बेगूसराय, बिहार (इग्नू)से अंग्रेजी में बी.ए(2007),जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , नई दिल्ली से रूसी भाषा में बी.ए(2011), जीजस एन्ड मेरी कॉलेज,चाणक्यपुरी(इग्नू)से समाजशास्त्र में एम.ए(2015)। प्रयास: Remember Complete Dictionary का सह-अनुवादन,Splendid World Infermatica Study का सह-सम्पादन, स्थानीय पत्रिका"कोशिश" का संपादन एवं प्रकाशन, "मित्र-मधुर"पत्रिका में कविताओं का चुनाव। सम्प्रति: सामाजिक मुद्दों पर स्वतंत्र विचार एवं ज्वलन्त विषयों पर पैनी नज़र। सोशल मीडिया पर साहित्यिक धरोहर को जीवित रखने की अनवरत कोशिश। आजीविका - कार्यकारी अधिकारी, लोकसभा सचिवालय, संसद भवन, नई दिल्ली पता- B 302 तीसरी मंजिल सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट मुखर्जी नगर नई दिल्ली-110009 ईमेल : salilmumtaz@gmail.com