हास्य व्यंग्य

नेता क्यों और कैसे बनें ?

क्या आप बेरोजगार हैं ? क्या जनता आप की इज्जत नहीं करती ? क्या आप अपराधी हैं और पुलिस आपको तंग करती है ? क्या आप करोड़ों वारे न्यारे करना चाहते हैं ? क्या इनकम टेक्स वाले आपको परेशान करते हैं ? क्या आप पूरे शहर में अपनी धाक ज़माना चाहते हैं ? क्या आप सुर्ख़ियों में रहना पसंद करते हैं ? आप पढ़े लिखे नहीं हैं, पकोड़े बेचकर गुजारा कर रहे हैं ? अभी केंद्रीय मंत्री जी ने भी कहा है की पेट्रोल की कीमत से उन्हें फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उन्हें तो सरकारी पेट्रोल (जो जनता के पैसे से आता है) मिलता है । परेशान जनता होती है नेता नहीं । क्या आप पेट्रोल की कीमतों और महंगाई से परेशान है ?  क्या आप जिंदगी भर घर बैठकर सरकारी पेंशन पर ऐश से रहना चाहते हैं ?  तो इसका एक ही उत्तर है आप नेता बन जाएँ ।

छोड़िये इंजीनियर डाक्टर बनने का ख़्वाब, मेहनत करके कितना कमा लेंगें ? आज तो कई नवजवान IAS  IPS  की नौकरी छोड़कर नेता बनने आ रहे हैं तो आप फिजूल में पढ़ाई करके पैसा और वक़्त क्यों बर्बाद करें ? क्यों ना बिना पढ़ाई के पढ़े लिखे लोगों पर राज करें ?

कल तक जो इनकम टेक्स वाले, पुलिस वाले आपके पीछे पड़े थे वो आपके चुने जाने के बाद आपके पीछे-पीछे चलेंगें । आप खुद अपने दुश्मनो के घर इनकम टेक्स के छापे डलवा सकोगे । कल तक आप जिनसे बच कर छिपते थे वो आपको सुरक्षा देंगें आपकी एक आवाज पर न्योछावर होने को तैयार रहेंगें । कल तक आप बेरोजगार थे अब आप हजारों बेरोजगारों को रोजगार देने की स्थिति में होंगें ।

मेरे सिखाये हुए विद्यार्थी आज विधायक, सांसद, यहाँ तक की केंद्रीय मंत्री तक बन चुके हैं उनका नाम बताने से कोई फायदा नहीं क्योंकि आज मुझे वो पहचानते तक नहीं, क्योंकि मैंने ही सिखाया था कि एक बार नेता बन जाने पर पुरानों को भूल जाना, यहाँ तक कि खुद के बाप को भी परिस्थिति देखते हुए पहचानने से इंकार करना पड़े तो हिचकिचाना नहीं ।

आप सोच रहे होंगें की नेता बनना कोई आसान काम नहीं, पर आप गलत सोच रहे हैं, जैसे  IAS IPS बनने के लिए यदि कोचिंग लेते हैं तो सफल होने की संभावना बढ़ जाती है इसी प्रकार  नेता बनने के लिए यदि थोड़ी सी तैयारी कर लें तो चुनाव में जीतने की संभावना बढ़ जाएगी ।

शुरुआत के लिए, पहले तो इसके लिए आपको मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा । आप सोच रहे होंगें की नेता बनने के लिए जनता की सेवा करनी पड़ेगी, नेता तो जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है उसे जनता के काम करने पड़ेंगें, ऐसा कतई नहीं है सच्चाई इसके विपरीत है । एक बार आप जीत गए तो आपको जनता के नहीं, जनता आप के काम करेगी । जनता आपके चरण धोकर पीयेगी जैसा की अभी अभी आपने समाचारों में देखा होगा एक सांसद के चरण धोकर एक कार्यकर्ता चरणामृत पी गया ।

अभी वो दिन दूर नहीं जब आम चुनाव आने वाले हैं । यदि आप अभी से तैयारी में लग जाएँ तो आप भी उन लोगों की गिनती में शामिल हो जायेंगें, यदि एक बार जीत गए तो आपकी पौ बारह । आपको जो भी मेहनत करनी है बस चुनाव से पहले तक, एक बार आप चुनाव जीत गए तो पांच साल तो क्या ज़िन्दगी भर कुछ भी करने की जरूरत नहीं ।

तो आइए मैं आपको कुछ अचूक नुस्खे बता रहा हूँ यदि आप इन नुस्खों को अपनाने के बाद भी चुनाव न जीते तो मुझे  सरे  आम  फांसी पर लटका देना ( यहीं से शुरू होती है नेता बनने की प्रक्टिस, कौन किसको फांसी पर लटकाता है, यदि कहने से आपकी जीत के आसार बनते हैं तो कहने में क्या जाता है)

सुर्ख़ियों में आने के लिए आप जिस पार्टी का टिकट चाहते है उसके कार्यकर्ता यदि किसी पुलिस केस में फंस जाते हैं जैसे कि गाडी चलाते समय चालान करने पर अथवा किसी कार्यकर्ता के पुलिस थाने में पकड़ लिए जाने पर थाने पहुँच जाईये । अपने लोगों को कहें कि साथ में आ जाएँ और वीडियो के लिए तैयार रहें । एक कार्यकर्ता को समझा दें कि उसके वीडियो बनाने पर आप उससे गुस्से में वीडियो बनाने से मना करेंगें यहाँ तक कि उसका फ़ोन छीन लेंगें, बाकी लोग वीडियो बनाते रहेंगें । आप पुलिस से गाली गलौज करेंगें इस तरह आप सुर्ख़ियों में आ जायेंगें  । नेता बनने के पहले कदम पर आपका पदार्पण हो चूका समझो  ।

यदि आप के पास चुनाव में खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं तो बिलकुल घबराएं नहीं । आप किसी व्यापारी को पकड़ कर उसे समझाएं की वो  आप के चुनाव के लिए दिल खोलकर पैसा खर्च करे, आप चुनकर आने पर उसके पैसों का सौ गुना उसे वापस दिलवा देंगें । ऐसा जुआ खेलने में कोई भी सफल व्यापारी पीछे नहीं हटेगा ।

चुनाव में टिकट पाने के लिए आपको कौनसी राजनितिक पार्टी पसंद है इस बात को भूल जाइये । जिस पार्टी की जीत की संभावना अधिक है उसका टिकट पाने का प्रयास कीजिये, यदि यह ना हो सके तो दूसरी संभावित जीत वाली पार्टी का रुख कीजिये उसमें भी सफल न हो सकें तो निर्दलीय चुनाव में खड़े होने से तो आपको कोई रोक नहीं सकता । फिर जब चाहे दल बदलने का विकल्प तो आपके पास मौजूद है ही ।

आपने देखा होगा देश के नेता देशवासियों को बेवकूफ समझते है , कुछ तो सही में हैं भी, पर सभी नहीं । बनाने वाल चाहिए कोई तेज तर्र्रार, बनने को बैठे है तैयार, सौ नहीं कई हजार । आपको गुरुमंत्र इन्हीं नेताओं से सीखना है । पहले किसी ज्वलंत मुद्दे पर जितना अधिक ऊलूलजुलूल बक सकते हैं बक दीजिये फिर जब आप अपने उद्देश्य में सफल हो जाएँ और सभी ओर से विरोध होने लगे तो कहें मेरे कहने का यह मतलब नहीं था, यदि किसी की भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो मैं माफ़ी मांगता हूँ, जो कहना था कह दिया, साप भी मर गया लाठी भी नहीं टूटी ।

नेता वो नहीं जिसके पीछे जनता चले, नेता वो है जो जनता का रुख पहचान कर जनता के आगे खड़ा हो जाए, यदि दलितों लोगों का वहां बहुमत है तो ऐसी गोलमोल बात कीजिये किसी के भी साथ अन्याय नहीं होने दूंगा, दोषियों को सजा दिलाने तक चैन से नहीं बैठूंगा इत्यादि । ऐसी ही बात सवर्णो के बहुमत वाले इलाकों में जाकर की जा सकती है । दलित, सवर्ण दोनों सोचेंगें यह हमारे पक्ष में बात कर रहा है । ऐसा ही हिन्दू बहुल या मुस्लिम बहुल इलाके में करें ।

मुस्लिम  बहुल  इलाके  में  हैं  तो उनके त्योहार के दिन किसी गुर्गे से ऐसा करवा दें की वह लोग हिन्दुओं के खिलाफ लड़ने मरने को तैयार हो जाएँ, यदि इलाका हिन्दू बहुल है तो किसी गुर्गे को मुसलमान वेश भूषा पहना कर देवी देवता की मूर्ती को तोड़कर वहां से भाग जाने को कहें फिर दंगा भड़क जाने पर सामने आकर भड़काऊ भाषण देने से ना चूकें ।

पहले स्वच्छता अभियान की तैयारी के लिए मीडिया को आमंत्रित कर लीजिये फिर सुनिश्चित कर लें की जिस जगह झाड़ू लेकर सफाई करने जा रहे हैं वहां कचरा अवश्य हो यदि न हो तो सड़कों पर कचरा  फैलाने के लिए आस पास के कचरा घरों से ट्रकों से भर के कचरा मंगवाने का इंतज़ाम आपको ही करना पड़ेगा ।  कुछ यार मित्रों को इकठ्ठा कर लें एक बात का ख्याल रखें फोटो अच्छी आनी चाहिए  । मीडिया से, चाहें तो बिकाऊ मीडिया से पैसे देकर खूब प्रचार करवाइये ।

स्वामी सूदनानंद ने कहा है की अभिनेता के लिए नेता होना जरूरी नहीं, पर सफल नेता होने के लिए अभिनेता होना जरूरी है । आप जितने अच्छे अभिनेता होंगे उतने आपके प्रधानमन्त्री तक बनने के अवसर अधिक होंगें । गोविंदा जैसे अभिनेता ने कहा है की वो अभिनेता बनने के लिए आईने के सामने खूब एक्टिंग करता था । आपको भी आईने के सामने खड़े होकर अभ्यास करना है, जितना चाहे झूठ बोलने पर बोलते समय पूरे आत्मविश्वास से बोलें , ऐसा करने से जनता को झूठ भी सच लगने लगता है । इस बात की परवाह न करें की कितना झूठ बोल रहे हैं । मन ही मन मान लीजिये आप लाल किले से भाषण से दे रहे हैं ।आंकड़े दीजिये मैंने देश के सो करोड़ किसानो का कर्ज माफ़ कर दिया । कोई नहीं पूछेगा यह आंकड़े कहाँ से आये ? इस तरह करने से आप झूठ बोलने में महारत हासिल कर लेंगें जो की अधिकाँश नेताओं का एक मौलिक गुण है । यदि आप और अधिक अभिनय करना चाहते हैं तो जो लोग सफल नेता बन चुके हैं उनके तब और अब पुराने वीडियो देखिये । किस तरह से उन्होंने सीना ठोक कर क्या कहा और चुन कर आने के बाद क्या कर रहे हैं । ऐसे वीडियो देखकर आपका झूठ बोलने का डर ख़त्म हो जाएगा ।

शिव जी की आशीर्वाद देने वाली मुद्रा तो सभी ने देखी होगी । जब आपकी सभाओं में कुछ भीड़ आनी शुरू हो जाए तो ऐसी शिव जी की मुद्रा में आशीर्वाद दीजिये । ऐसा करने से अनपढ़ जनता में एक विशेष प्रभाव पड़ता है की आदमी जरूर कोई पहुँच हुआ शख्स है । अब भाषण देना शुरू कीजिये । सफल नेता वो नहीं जो जनता के, देश के  काम करे, सफल नेता वो है जो धुआंधार भाषण दे । कसमें वादे जितने कर सकते हो करो इसी पर निर्भर करेगा की आप जीतोगे अथवा हारोगे ।

एक बार आप चुनाव जीत गए तो हर राजनितिक पार्टी आपको अपने दल में लेने को बेताब हो जायेगी । मौके से फायदा उठाना न चूकें । परिस्थिति ऐसी भी हो सकती है की आपको मंत्री पद तक का ऑफर मिले । कुछ ना भी किया तो भी जिंदगी भर पेंशन और रुतबा तो कायम हो ही जाएगा । चुनाव जीतने के बाद आप सत्ता धारी पार्टी में शामिल हो जाएँ, आपके काले कारनामों को पूछने की भी किसी की हिम्मत नहीं होगी ।

तो फिर क्या सोच आपने ?  स्कूल कॉलेज में जाकर ज़िन्दगी खराब करेंगें या नेता बनेंगें ? नेताओं को छूट है, लूट सके तो लूट ,  एक बार चुन कर आ गए फिर  चाहे जनता रोये फ़ूट फ़ूट ।

 

 

रविन्दर सूदन

शिक्षा : जबलपुर विश्वविद्यालय से एम् एस-सी । रक्षा मंत्रालय संस्थान जबलपुर में २८ वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्य किया । वर्तमान में रिटायर्ड जीवन जी रहा हूँ ।

4 thoughts on “नेता क्यों और कैसे बनें ?

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय भाई साहब ! बहुत दिनों बाद आपकी लेखनी का जादू अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । बहुत ही उम्दा लिखा है आपने । जब झूठ बोलकर अनपढ़ पढ़े लिखे लोगों पर राज करने लगें तो क्या फायदा ऐसी पढाई का ? अभिनेता नेता बने या न बने एक नेता का अच्छा अभिनेता होना सबसे जरुरी है और इसके फायदे भी हम देख रहे हैं । अब तो नेतागीरी सिखाने का पाठ्यक्रम भी शुरू हो गया है । बेहद उम्दा व्यंग्य के लिए धन्यवाद !🙏

    • रविन्दर सूदन

      आदरणीय भाई साहब जी, आपकी प्रेरणादायक टिपण्णी के लिए बहुत धन्यवाद । आपके
      मंच पर आपके फेसबुक में ‘तब और अब’ के वीडियो देखे तब ऐसा लेख लिखने का
      ख़याल आया । आपको लेख अच्छा लगा मेरा सौभाग्य ।

  • लीला तिवानी

    प्रिय रविंदर भाई जी, गज़ब का व्यंग्य किया है आपने इस आलेख में. आप तो व्यंग्य के शहनशाह बन गए. वास्तव में यह केवल व्यंग्य ही नहीं आज की सच्चाई भी है. आपने नेता बनने के नुस्खे भी अचूक बयाए हैं. इन नुस्खों को अपनाकर अब नेताओं की बाढ़ आ जाएगी. हमें भी नेताओं की बाढ़ पर कविता लिखने की तैयारी करनी होगी. अत्यंत रोचक, सुंदर, सार्थक व सटीक रचना के लिए आभार.

    • रविन्दर सूदन

      आदरणीय बहन जी, आपकी सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद । आपको व्यंग्य
      अच्छा लगा जानकार बहुत ख़ुशी हुई ।

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