बाल कविताशिशुगीत

नानी आई

                                 बाल काव्य सुमन संग्रह से बाल गीत

 

16.नानी आई
 
नानी आई, नानी आई
टॉफी-चॉकलेट-बिस्कुट लाई.
बेसन के लड्डू और बर्फी,
मक्खन-पेड़े और मलाई.
सुंदर-सुंदर खेल-खिलौने,
नन्हा-सा कम्प्यूटर लाई.
झूमूं-गाऊं-नाच दिखाऊं,
नानी आई, नानी आई.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “नानी आई

  • लीला तिवानी

    बच्चों के लिए खाना-पीना, खेल-खिलौने घर में भले ही बेशुमार हों, पर नानी के घर जाकर मौज उड़ाने की बात ही कुछ और है. नानी का आना भी लाड़-प्यार और मौज-मस्ती का आलम बढ़ाता है. नानी के बारे में बचपन से ही हम सुनते आए हैं-

    नानी के घर जाएंगे,
    दूध-मलाई खाएंगे,
    मोटे होकर आएंगे,
    खूब खिलौने लाएंगे.

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