कहानी

रोटी

एक दिन अनीता और उसका पति अनिल घूमने के लिए नैनीताल जानें वाले थे  , वैसे तो दोनों को समय नहीं  मिलता था , लेकिन इस बार दोनों का घूमने जाने का मन था , तो अनिल ने टिकट कर डाली , और अनीता से कहाँ कि

” चलो अनीता आज ही रात को हम  नैनीताल के लिए निकल जायेगे ”

अनीता  ” ओह्ह्ह सही में मेरा तो काफ़ी समय से मन था,  कही बाहर घूमने का , चलो मैं सामना बाधा लेती हु , तब तक तुम मार्किट से साथ ले जाने के लिए , थोड़ी नमकीन और चिप्स ले आओ ”

अनिल  ” ठीक है ,मैं मार्किट होकर आता हु ”

इतने में अनीता अपना और अपने पति का बैग पैक करती है , ताकि बाहर जाकर किसी चीज की कमी ना हो !

समय बीतता है , जो दोनों बस स्टैंड ने बस लेते है !

रास्ते में अनीता और अनिल खूब बातें करते है , एक दूसरे से और शादी के पहले के दिनों को भी याद करने लगते है और दोनों का समय कैसे व्यतीत हो रहा था , उन्हें पता ही ना चला , कब अनीता अनिल के कंधे पर सर रख कर सो गई , उसे पता ही ना चला ! और अनिल अनीता को देखते – देखते कब सो गया उसे खुद को भी पता ना लगा !

सुबह के 9 बज चूके थे , और अनीता और अनिल अब जग चुके थे , और बस भी अब कुछ ही समय में  नैनीताल पहुंचाने वाली थी  , इसलिए अनीता और अनिल की ख़ुशी का ठिकाना ना था , वह दोनों खिड़की से बाहर देख कर बस हसीन वादियों का लुफ़्त उठा ही रहे थे , इतने में आगे से आवाज़ आती है , कि नैनीताल आने वाला है , सब अपना सामना ध्यान से ले ले , बाद में हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी ! अनीता और अनिल अपने बैग उठाने लगे , और धीऱे धीरे आगे जानें लगे !

नैनीताल आ चूका था , अनिल और अनीता , बहुत ही खुश थे , एक तो इतना सुन्दर नज़ारा ऊपर से वह दोनों बहुत ही समय बाद कहीं घूमने आये थे , बस स्टैंड से दोनों का होटल कुछ ही दूरी पर ही था , कि इतने में 5 – 6 साल का एक छोटा सा बच्चा आकर , अनिल के पैर पकड़ने लगा , अनिल से उस से दूर जानें के लिए कहा पर वह बच्चा फिर अनीता के पैरो में आ कर बैठ गया ! अनीता थोड़ी डर गई , कि क्या हो रहा है उनके साथ , बच्चा तो उनका पीछा ही नहीं छोड़ रहा !

अनीता से बच्चे से कहा- “क्या हुआ बेटा , क्यों रो रहे हो , और क्यों आप हमारे पास आये हो ,बेटा कृपा करके हमें जानें दो ”

अनीता ने उस बच्चे को 20 का नोट दिया, और आगे चलने लगी , पर बच्चे ने नोट अनीता को वापस कर दिया , और बोल कि

” मुझे पैसे नहीं चाहिए , मेरी बाबा को पता नहीं क्या हो गया है , वह कुछ बोल ही नहीं रहे है , मेरे साथ चलो एक बार मेरे बाबा को देख लो आंटी ”

अनीता ने अनिल के तरफ़ देख , और फिर उन दोनों ने उस बच्चे की तरफ़ , बच्चे के पैरो में चपल नहीं थी , कपडे उसके एक दम फटे और गंदे थे , उस बच्चे का सारा बदन दिख रहा था , फिर भी बच्चे ने अपना बदन फटे कपड़ो से जितना होता , उतना ढाका हुआ था !

अनिल ने अनीता  से कहाँ कि “चलो  यहाँ से चलते है , हमे यहाँ कोई जानता भी नहीं है , और आज कल का समय भी ख़राब है , पता नहीं हमे यह बच्चा कहाँ ले जाये , इनका तो काम ही होता है , नए लोगो को लूटना ”

अनीता ने काफी देर तक अनिल की बात पर सोचा पर उसका दिल ना माना , और उस बच्चे को देख रही थी , जो अभी तक रो रहा था, और बहुत ही घबरया हुआ था !

अनीता ने अनिल से कहाँ कि “अनिल मेरा मन कहे रहा है , कि बच्चा किसी  मज़बूरी में ही हमारे पास आया है , एक बार इसके साथ चल कर इसके बाबा को देख लेते है ”

अनिल  ” ठीक है , अनीता जैसा तुम कहो , पर एक बात मेरी भी सुन लो , हम अकेले नहीं जायेगे , साथ में किसी को ले चलते है ”

अनीता ” ठीक है , पर किस को अनिल”

इतने में  अनिल की नज़र एक छोटी सी पुलिस चौकी पर जाती है , और अनिल पुलिस वाले के पास जाकर पूरी बात बता देता है , और साथ चलने के लिए बोलता है , पहले तो पुलिस वाला जाने के लिए तैयार ना था , लेकिन अनिल के बार बार कहने पर वह मान गया , और अनीता और अनिल के साथ जाने को तैयार हो गया !

अब बच्चा आगे – आगे और अनिल, अनीता पुलिस वाला उसके पीछे जाने लगे, तभी बच्चा एक पुल के पास रुकता है , जहाँ उसके बाबा लेटे हुये थे , पर उसकी आँखे बाद थी , अनीता और अनिल उनके बाबा के पास गए , तभी बच्चे ने कहाँ कि

” देखो मेरे बाबा को , वह कुछ बोल नहीं रहे है , उनको ख़ून आ रहा था पैर से , पर उठ नहीं रहे है , मैं आपके हाथ जुड़ता हु , मेरे बाबा को हस्पताल ले चलो ,

अनीता और अनिल ने बाबा को हिला कर देख , पर शायद बहुत देर हो चूकि थी , क्योकि बाबा की सांसे ही नहीं चल रही थी , और उनका बदन पूरा ठंडा पड़ा गया था !

अनीता ने बच्चे से पूछा कि ” बेटा , तुम कहाँ रहते हो , और तुम्हारे घर में कौन – कौन है ”

बच्चा रोते हुए ” मेरा मेरे बाबा के आलावा और कोई नहीं है , बाबा ही मजदूरी करके मेरा और अपना पेट पालते थे , लेकिन बाबा को काफी दिनों से कुछ काम नहीं मिल रहा था , इसलिए बाबा ने मुझे अभी कुछ देर पहले यह दो रोटी देते हुए , कहा था , कि मैं इस में से एक रोटी अभी और एक बाद में खाना , ताकि कुछ देर तक तुम्हारा पेट भरा रहेगा , लेकिन बाबा बहुत रो रहे थे , मैंने उन से पूछा कि आप क्यों रो रहे है , तो उन्होंने कहा , कि वह यह रोटी चुरा कर लाए है, ताकि मेरा पेट खाली ना रहे , और चोरी करते हुए वह पकड़े गये थे , लोगो ने उन्हें ख़ूब मारा था , इसलिए उन्हें पुरे बदन में दर्द हो रहा है ”

यह सब सुन कर अनीता और अनिल की आँखों में पानी आ गया , और वह बच्चे की तरफ़ देख रहे थे , कि कैसे बताये इस मासूम बच्चे को कि , इसके बाबा अब कभी भी बोल नहीं सकते !

इतने में बच्चे ने अनिल से पूछा कि ” भइया क्या चोरी करना बुरा काम है क्या ? बाबा से बोलो कि वह मेरे से बात करे , मैं अब कभी भी उनको रोटी लाने के लिए नहीं कहूँगा , मैं बिना रोटी के जीना सीख़ लूगा , पर उनको कभी नहीं कहूँगा , कि मुझे भूख लगी है ”

अनीता और अनिल की सारी खुशियाँ यही खत्म हो गई , और वह दोनों बच्चे को एक अनाथ अलाया के पास छोड़ कर नैनीताल से वही से वापस आ गये ! लेकिन अनीता के मन में एक प्रश्न उसे अभी भी परेशान कर रहा था ” क्या रोटी की क़ीमत , किसी की जान से ज्यादा होती है ”

लेखिका – चाँदनी सेठी कोचर (दिल्ली)

चांदनी सेठी कोचर

नाम : चाँदनी सेठी कोचर जन्म तिथि : 12-12-1989 पिता का नाम : (स्व.) रमेश सेठी माता का नाम : श्रीमती वीना सेठी पति का नाम : डॉ. शुभंकु कोचर शिक्षा : बी.एड , एम.ए ( हिंदी साहित्य ) , बी.ए. साहित्य रुचि : महिला साहित्य और दलित साहित्य विधा : कहानी , लघु कथा , कविता, लेख. मोबाइल : 9818356504 ईमेल : chandnikochar@gmail.com प्रकाशित रचनाओं का विवरण - वर्तमान लेखन: दैनिक व साप्ताहिक अखबारों, पत्रिकाओं में कहानी, कविता, लघु कथा सामाजिक लेख. दैनिक विजय दर्पण टाइम्स, स्वैच्छिक दुनिया, जागरूक जनता, चलते फिरते, अमृत इंडिया, दैनिक राष्ट्रीय नवाचार, अमर उजाला आदि ! PUBLICATION INFORMATION: 1. Book Details: S.No Title Type Book Name ISBN NO. Publishers 1 “बेटी” लघुकथा साझा संग्रह दीप देहरी 978-81-934061-6-8 Udeept Prakashan 2 “अनोखा रिश्ता” लघुकथा साझा संग्रह दीप देहरी 978-81-934061-6-8 Udeept Prakashan 3 “कामवाली” काव्य साझा संग्रह साहित्य उदय 978-81-934189-0-1 Udeept Prakashan 4 “खुशनसीब” काव्य साझा संग्रह साहित्य उदय 978-81-934189-0-1 Udeept Prakashan 5 “हार से मुकाबला” काव्य साझा संग्रह साहित्य उदय 978-81-934189-0-1 Udeept Prakashan 6 “अधूरा इश्क़” कहानी साझा संग्रह “दस्तक” 978-93-5300990-8 रवीना प्रकाशन 7 अनकहा दर्द काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 8 एक सवाल काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 9 आज की नारी काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 10 माँ की याद काव्य साझा संग्रह भाव कलश 978-81-9381039-2 सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स 2 लघु कथाएं :- (Short Stories) • अजब – गजब • अनोखा रिश्ता • अमूल्य वस्तु • कन्यादान • जैसी करो और वैसी भरो • बेटी • मन की बात • रेणु 3 . काव्य : - (Poetry) • काम वाली • खुशनसीब • हार से मुकाबला • मोहब्बत का दर्द • एक जवाब • पुराने जख़्म • भेद - भाव • मीठी यादें • मातृ प्रेम का अहसास • रिश्ता • सोचना जरूर • सम्मान • आज की नारी • पिता • मजदूर पिता • मेरी कलम • अनकहा दर्द • एक सवाल • नारी का त्याग • माँ • एक वेश्या • दर्द ए इश्क़ • प्यारा काकू • पर्यावरण की देन • योग के लाभ • पिता प्रेम • एक किन्नर • पहली बारिश • रक्षा का वादा 4. कहानियाँ: (Stories) • यादगार सफर • अधूरा इश्क़ • अनहोनी • विश्वास • अनोखी यात्रा • “खामोश प्रेम” • आधुनिक दहेज़ • रोटी • अस्तित्व • संघर्ष और विजय • मुखौटा • कागज़, कलम और फ़ोन 5 पत्रिका :- (Magazine) पत्रिका का नाम विधा रचना का नाम काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता आज की नारी काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता पिता काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता मातृ प्रेम का अहसास काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता मजदूर पिता काव्य स्पंदन चित्र गुप्त प्रकाशन कविता मेरी कलम प्रणाम पर्यटन पत्रिका कविता एक सवाल जय विजय पत्रिका कहानी “बेटी जय विजय पत्रिका कविता मेरी कलम प्रणाम पर्यटन पत्रिका कविता एक वेश्या जय विजय पत्रिका कहानी संघर्ष और विजय अविचल प्रवाह लघुकथा रेणु अविचल प्रभा कविता मज़दूर पिता डिप्रेस्ड एक्सप्रेस मैगज़ीन कहानी आधुनिक दहेज़ नारी शक्ति सागर कविता पिता सम्मान- (Award) उदीप्त प्रकाशन द्वारा लघु कथा के लिए श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान ! उदीप्त प्रकाशन द्वारा काव्य के लिए श्रेष्ठ युवा रचनाकार सम्मान ! साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र मई – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र जून – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन में भाग लेकर पर्यावरण के संरक्षण एवम् सम्वर्धन में शानदार प्रस्तुति के लिए सम्मान पत्र 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र जुलाई – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र जुलाई – 2018. साहित्य संगम द्वारा बोली संवर्धन कार्यक्रम में प्राप्त सम्मान पत्र अगस्त – 2018 आगमन फाउंडेशन द्वारा लाइफ टाइम मेम्बर अवार्ड – 2018 साहित्य संगम संस्थान द्वारा व्याकरण शाला दैनिक कार्य में प्राप्त सम्मान पत्र 9 जुलाई – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा व्याकरण शाला दैनिक कार्य में प्राप्त सम्मान पत्र 12 जुलाई – 2018. आगमन फाउंडेशन द्वारा “भाव कलश” में रचनाकार सहयोग के लिए "सर्वश्रेष्ठ रचनाकार का सम्मान " महान कवि "डॉ. डॉ कुंवर बेचैन "के हाथों से प्राप्त - अगस्त – 2018. साहित्य संगम संस्थान द्वारा जनचेतना सम्मान पत्र प्राप्त अगस्त – 2018 उन्नंती शिक्षा संस्थान हिसार द्वारा आयोजित कार्यक्रम अग्गाज बेटियों का में "राज्य सभा सांसद दिल्ली सुशील कुमार गुप्ता" द्वारा "गैस्ट ऑफ ऑनर अवॉर्ड" का सम्मान मिला 30-अगस्त – 2018. आगमन फाउंडेशन द्वारा “ऑनलाइन प्रतियोगिता" में भागा लेकर दूसरे स्थान पर मेरी कहानी " कागज़, कलम और फ़ोन" के लिए सम्मान पत्र मिला ! आगमन फाउंडेशन द्वारा “ऑनलाइन प्रतियोगिता" में भागा लेकर दूसरे स्थान पर मेरी कहानी “उत्सव” के लिए सम्मान पत्र मिला ! उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में "काव्य रंगोली पत्रिका द्वारा साहित्य भूषण सम्मान 2018 से सम्मानित किया गया ! 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