गीतिका/ग़ज़ल

आस का पंछी

रहता है सबके मन में, ये आस का पंछी।
उड़ता खुले गगन में ये आस का पंछी।
जितनी बड़ी तमन्ना, उतनी बड़ी उड़ान,
चला है मन मगन में ये आस का पंछी।
बातों मैं जोश दिल में, उम्मीद को लिये,
शामिल हुआ लगन में, ये आस का पंछी।
मुश्किल बड़ी हैं राहें,जाना है दूर तक,
मंजिल लिये नयन में, ये आस का पंछी।
चलते सभी हैं “स्वाती” मंजिल तभी मिले,
उड़ेगा जब जुनून में ये आस का पंछी।
पुष्पा ” स्वाती “

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है