धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

दुर्गा दुर्गति नाशिनी

नमो दु्गा दुर्गति नाशिनी  अर्थात जो दुर्गति का नाश करती हैं वही आद्याशक्ति माँ दुर्गा हैं |’ जागो दुर्गा , जागो दशोप्रहर धारिणी माँ …, जागो… तुमि जागो…, जागो चिन्मयी जागो मृन्मयी , तुमि जागो माँ… इस प्रकार माँ दुर्गा के आगमनी संगीत से आद्याशक्ति दुर्गा माँ का बोधन प्रारंभ होता है | माँ दु्गा का आगमनी संगीत के स्वर कानों में पड़ते ही सारा संसार भक्तिमय एवं आलोकित हो उठता है | महालया के दिन से देवी पक्ष प्रारंभ होता है और उसी दिन से माँ दुर्गा का आवाहन किया जाता है | महालया का शाब्दिक का अर्थ होता है ‘आनंद निकेतन’ | पौराणिक मान्यता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के प्रतिपदा से अमावस्या अर्थात महालया के दिन तक प्रेतलोक हमारे पूर्वज की आत्मा अपने प्रियजनों के मोह में धरती पर विचरण करते हैं | महालया के दिन ही 14 दिनों से चल रहे पितृपक्ष का समापन होता है इसलिए इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनका ‘तर्पण’करते हैं | महालया के दिन ही माँ दुर्गा के प्रतीमा की आंखें बनाई जाती है |
             इस वर्ष 2018 में 8 अक्टूबर सोमवार को अमावस्या तिथि एवं महालया है | इस दिन गंगा में स्नान कर तर्पण करने एवं सूर्यदेव को जल अर्पण  करने से करोड़ों सूर्यग्रहण के स्नान के समान सुफल  प्राप्त होता है | महालया का दिन पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है इसलिए अपने पूर्वजों को तिलांजलि के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है | पितरों के आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि , धन – धान्य , यश , बल, दीर्घायु , पुत्र सुख की प्राप्ति होती है | इस दिन घर-संसार आनदमय एवं खुशहाल हो उठता है |
                महालया के दिन से ही देवी पक्ष का प्रारंभ होता है | शक्ति रूपिणी आद्यशक्ति माँ दुर्गा का आगमन होता है | आश्विन माह शरद काल का समय होता इसलिए शरद काल में मनाये जाने के कारण इस नवरात्र को ारदीय नवरात्र भी कहा जाता है | आश्विन माह के इस शारदीय नवरात्र का एक विशेष महत्व है | दुर्गाशप्तशती के अनुसार , ‘शरदकाले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी ‘ अर्थात शरद काल में यह दुर्गा पूजा होने के कारण ये महापूजा कहलाती है | आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्र का प्रारंभ होता है एवं नवमी को कुमारी कन्याओं के पूजन के बाद व्रत का समापन होता है | इस वर्ष 2018 में 10 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र चलेगी | शारदीय नवरात्र में अपराजिता , केतकी एवं कमल पुष्प चढ़ाकर का आवाहन किया जाता है | कहते हैं अपराजिता के पुष्प से माँ का पूजन करने से शत्रु का विनाश होता है | दुर्गा पूजा के अष्टमी तिथि को 108 दीप जलाकर माँ की स्तुति की जाती है |
      शारदीय नवरात्र सम्पूर्ण भारत में काफी धूम – धाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है | यह त्यौहार बंगाल , बिहार , झारखंड , उत्तर प्रदेश , असम ,उड़ीसा में पूरे धूम -धाम से मनाया जाता है | नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना कर कुमारी कन्याओं के पूजन के बाद नवरात्र व्रत का समापन किया जाता है |
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै,नमस्तस्यै ,नमस्तस्यै नमो नमः |
‘ जागो दुर्गा जागो दशप्रहर धारिणी जागो…तुमि जागो , जागो चिन्मयी जागो मृण्मयी माँ’…|
आदिकाल से न केवल मनुष्य बल्कि देवता भी शक्ति की देवी माँ आद्याशक्ति की उपासना करते रहे हैं | देवीस्वरुप में उषा की स्तुति ऋग्वेद में तीन सौ बार करने का उल्लेख है | कास के मनमोहक लहराते फूल और हरसिंगार के फूलों की मंत्रमुक्ध करती मनमोहक सुगंध आश्विन माह के शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा के आगमन की सूचना देते हैं | नवरात्र का त्योहार भक्ति,आस्था, शांति एवं  सद्भावना का महापर्व है | नवरात्र शब्द सुनते ही हमारे मन – मंदिर में माँ दुर्गा के नौ रूपों छवि उभरती है | नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की  आराधना की जाती है एवं आदिकाल से मनुष्य  शक्तिस्वरूपा माँ आद्याशक्ति अर्थात देवी दुर्गा की   उपासना करते रहे हैं | आश्विन माह शरदकाल का   समय होता इसलिए इस माह में मनाये जाने वाले   नवरात्र को ‘शारदीय नवरात्र’ कहते हैं | शारदीय  नवरात्र में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के प्रतिप्रदा से  नौ दिनों तक माँ दुर्गा नौ रूपों कीआराधना की जाती    है | नवरात्र के नवें दिन कुमारी कन्याओं के पूजन के बाद व्रत का समापन किया जाता है | आश्विन माह में मनाये जानेवाले नवरात्र को ‘महानवरात्र’ भी कहते हैं | आश्विन नवरात्र के बाद ही दशहरा होता है इस दिन रावण के पुतले जलाये जाते हैं | इस वर्ष 2018 में शारदीय नवरात्र 10 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक चलेगी |
      शरदीय नवरात्र में माँ दुर्गा के आगमन के पहले नीले -नीले खुले आसमान के बीच धरती पर मंद -मंद हवा के झौंकों संग चारों ओर लहराते सफ़ेद कास के फूल एवं हरसिंगार के फूलों की मनमोहक  सुगंध शारदीय नवरात्र एवं देवी दुर्गा के आगमन की सुचना देते हैं | प्रसिध्य बांग्ला फिल्म निर्माता एवं निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्मों में शारीय दुर्गात्सव एवं लहराते कास की फूलों के महक संग दुर्गा देवी के आगमन का सजीव चित्रण मिलता है | शरदकाल में चारों ओर हरी -हरी घासों पर दूर -दूर तक खिले कास फूल दुर्गा देवी के आगमन की ख़ुशी से मन में उत्साह से भर जाता है | ढाक के ऊपर काठी पड़ने के से सारा वातारण भक्तिमय हो उठता है | शारदीय नवरात्र शक्तिस्वरूपा देवी दुर्गा की आराधना का विशेष समय होता है | कहते हैं शारदीय नवरात्र में देवी दुर्गा तामस रूप में पृथ्वी पर अवतरित होती है, जो उग्र होता है | इसलिए इन दिनों घरों एवं पूजा पंडालों में स्वच्छता एवं पित्रता का विशेष ध्यान रा जाता है |
                 शारदीय नवरात्र देवी दुर्गा के आराधना का समय होता है | नवरात्री का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक विशिट स्वरूप को समर्पित है | नवरात्र के प्रथम दिन कलश की स्थापना कर माँ शैलपुत्री की आराधना की जाती है | द्वितीय दिन ब्रह्मचारिणी ,तृतीय दिन चंद्रघंटा, चतुर्थ दिन कुष्मांडा , पंचम दिन स्कन्दमाता ,छठवें दिन कात्यायनी , सातवें दिनालरात्रि , आठं दिन महागौरी एवं नौवें दिन सिद्धिदात्री की आराधा की जाती है | इन नौ दिनों तक की जाने वाली माँ दुर्गा की स्तुति देवी दुर्गा के प्रत्येक स्वरूप भिन्न – भिन्न प्रकार से अपने के भक्तों मनोरथ पूर्ण करते हैं | कहते हैं त्रेतायुग में शरदकाल के शारदीय नवरात्र का श्री राम ने अपने शत्रु दुराचारी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए माँ दुर्गा का अकाल बोधन किया था | देवी दुर्गा की विधी – विधान के साथ पूजन कर उन्हें प्रसन्न दुर्गा देवी से रावण को पराजित करने के शक्ति का वरदान माँगा | दहशहरे के दिन श्रीराम दुष्ट रावण का वध कर सीता , लक्ष्मण एवं वानर सेना को साथ लेकर लंका से वापस लौटे |
                शारदीय नवरात्र के प्रारंभ से कई दिन पहले से ही सजी बाज़ारों की रौनक देखते ही बनती है | बाज़ारों में कपड़ों , साजोश्रृंगार के वस्तुओं , धुप -दीप ,फूलमालाओं , लहराते चुनरियों एवं नैवैध की बिक्री प्रारंभ हो जाती है | नवरात्र के पूर्व से ही माँ दुर्गा की स्वागत की तैयारी के खरीदारी करते लोगों का उत्साह देखते ही बनता है | नवरात्र के पूर्व से ही घरों से लेकर मंदिरों तक सभी जगह विशेष तैयारीयां की जाती है | पूजा पंडाल प्रतीमा एवं लाइटिंग से सज जाते हैं |नवरात्र के इन नौ दिनों में तन और मन को शुद्धता , असीम शांति , सद्भावना के अपार सुख की अनुभूति होती है |
 — विनीता चैल 

विनीता चैल

द्वारा - आशीष स्टोर चौक बाजार काली मंदिर बुंडू ,रांची ,झारखंड शिक्षा - इतिहास में स्नातक साहित्यिक उपलब्धि - विश्व हिंदी साहित्यकार सम्मान एवं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित |