कविता

कविता

घोड़े दौड़ते थे
बड़ी तेज़ी से दिल के।
न अस्तबल का पत्ता था
और न रस्तों का।
उसकी आँखों के
झरने
सुर्ख़ होठों की
गर्माहट
प्यास और थकान
को भगा देती थी।
हर पल
गुफ़्तगू करनी होती थी
उससे
दो पल साथ में
बाकी यादों और तन्हाइयों में।
सर्द रातों में
ढ़क लेती थी
एहसासों की तपती हुई
रज़ाई ।
जब से मौसमो की
फितरत बदली है।
न वो रंगीनियत है फिजाओं में
और न ही वो
अल्हड़ उमड़ते
प्रेम के बादल।।

पवन अनाम

पवन अनाम

नाम: पवन कुमार सिहाग (पवन अनाम) व्यवसाय: अध्यनरत (बी ए प्रथम वर्ष) जन्मदिनांक: 3 जुलाई 1999 शौक: कविता ,कहानी लेखन ,हिंदी एवं राजस्थानी राजस्थानी कहानी 'हिण कुण है' एक मात्र प्रकाशित लघुकथा ! शागिर्द हूँ! व्हाट्सएप्प नंबर 9549236320