कविता

“शक्ति छंद”

छंद शक्ति , (मापनीयुक्त मात्रिक) वर्णिक मापनी, 122 122 122 12, लगाला लगाला लगाला लगा

“शक्ति छंद”

पुरानी दवा है दिखाती असर।
चढ़ाती नशा है पिलाके ज़हर।।
कभी प्यार की तो कभी बेख़बर।
बुलाती बहारें लड़ाती नज़र॥-1

निशाने लगाती नचाती नज़र।
बहाने बनाती घूमाती शहर।।
बहुत प्यार इसको मिला है मगर
नशे को नशा भर पिलाती उमर॥-2

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ