सामाजिक

कुशल भारत-कौशल भारत की ओर अग्रसर भारतीय युवापीढ़ी

कौशल और कुशलता किसी राष्ट्र की समृद्धि और खुशहाली के परिचायक होते है। खुशहाली संतोष पर निर्भर करती है और संतोष कौशल की सफलता पर टिका होता है। उच्‍च स्‍तरीय कौशल का सम्यक विकास किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की कुशलता और अंततः खुशहाली का सबसे बड़ा कारक होता है। लगभग दो वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अनेक मानदण्डों जैसे स्वास्थ्य, जीवन प्रत्याशा, उदारता, आशावादिता, सामाजिक समर्थन, सरकार और व्यापार में भ्रष्टाचार की स्थिति के साथ साथ किसी देश की प्रतिव्यक्ति आय और सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर विश्वस्तर पर विभिन्न देशों की खुशहाली की स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट में भारत का स्थान चीन, पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे था। यह अवलोकन निश्चितरुप से भारत के लिए शोक और चिंता का विषय बन गया था, क्योंकि देश में इस अप्रसन्नता की जड़ें कहीं न कहीं हमारी सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा की असंतोषप्रद स्थितियों पर जाकर ठहर रही थीं। वस्तुत: विश्व में प्रसन्नता का स्तर बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के एक मनोवैज्ञानिक शोध में जीवन की परिस्थितियों और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने में निजी प्रयासों के सामंजस्य को बनाए रखना अतिआवश्यक माना गया है। भारत में भी 2016-17 में आईआईटी खडगपुर में रेखी सेंटर ऑफ ऐक्सीलेंस फॉर द साइंस ऑफ हैप्पीनैस स्थापित किया गया, ताकि देश के युवाओं को जीवन की प्रसन्नता संबंधी व्यावहारिक विचारों की शिक्षा प्रदान की जा सके।

सम्भवतः इसी दृष्टिकोण से भारत की कुशलता और प्रसन्नता को चिरस्थायी बना सकने के लिए देश के विकास संबंधी अनेक कार्यक्रम जैसे: ‘डिजीटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’ ‘स्किल इंडिया’ आदि के शुभारम्भ किए गए। इनमें सबसे महत्वपूर्ण ‘स्किल इंडिया’ के तहत भारत में युवा कौशल विकास मिशन की शुरुआत है। इसके तहत राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद, नीति आयोग और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम कार्यरत हैं। ये तीनों संस्थान मिलकर न केवल देश में किए जा रहे कौशल विकास प्रयासों को नीतिगत दिशा दे रहे हैं, बल्कि उनकी समीक्षा के साथ साथ संबंधित नियमों को लागू करने के लिए रणनीतियों पर कार्य भी कर रहे हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) एक गैर-लाभ वाली कंपनी के रुप में काम करते हुए गैर संगठित क्षेत्र समेत श्रम बाजार के लिए कौशल प्रशिक्षण की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मिशन में उद्यमी संस्थाओं के साथ पूरे भारत में कार्यरत सभी गैर-सरकारी संस्थानों को भी जोड़ा गया है। भारत को कौशल का वैश्विक केन्द्र बनाने और रोजगार की समस्या के समाधान के लिए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) स्थापित किया गया है। इससे पहले कौशल विकास योजनाएं 20 विभिन्न मंत्रालयों द्वारा संचालित की जाती थीं, लेकिन अब इसे एक मंत्रालय द्वारा ही संचालित किया जा रहा है, जो बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है।

“कुशल भारत, कौशल भारत” की इसी चुनौती को स्वीकार कर ही विकसित भारत की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। प्रतिभावान, उच्च कौशल वाले और नवीन विचारों से पूर्ण भारतीय युवा के अभिनव विचारों का समुचित उपयोग कर ही भारत रोजगार सृजन की संभावनाओं को पूरा कर सकता है। रोजगार के लिए उपयुक्‍त कौशल प्राप्‍त युवा राष्ट्रीय परिवर्तन के सच्चे प्रतिनिधि और कौशल संवाहक सिद्ध हो सकते हैं। इसके लिए व्यापक स्तर पर रोजगार सृजन हेतु युवाओं को गुणवत्तापूर्ण कौशल प्रशिक्षण देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की मूल समस्या रोजगार सृजन की ही रही है। वास्तव में इस समस्या को मूल में रखकर युवा कौशल विकास के लिए अनेक योजनाएं जैसे राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, कौशल विकास और उद्यमिता के लिये राष्ट्रीय नीति, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, राष्ट्रीय अप्रेंटिस प्रोत्साहन योजना, उद्यमिता, कौशल विकास पहल योजना,  शिल्पकार प्रशिक्षण योजना, क्राफ्ट अनुदेशक प्रशिक्षण योजना और कौशल ऋण योजना आदि काम कर रही हैं।

भारत में ऐसे बहुत से बच्चे और युवा मिल जाएंगे जिनको परिस्थितिवश या किन्हीं कारणोंवश स्कूल या कॉलेज छोड़ देना पड़ता है। ऐसे ही गरीब व वंचित युवाओं को कौशल भारत – कुशल भारत मिशन के माध्यम से परंपरागत कौशल की विभिन्न श्रेणियों जैसे हस्तशिल्प, कृषि, बागवानी, पशुपालन, वृक्षारोपण, कृषि यंत्रों की मरम्मत, गाड़ी चलाना, कपड़े सिलना, खाना बनाना, साफ-सफाई करना, मकैनिक का काम करना, बाल काटना आदि में आधुनिक तकनीक के प्रशिक्षण के संबंध में प्रशिक्षित करके प्रमाण-पत्र दिया जाता है, जो सभी सरकारी व निजी, यहाँ तक कि विदेशी संगठनों, संस्थाओं और उद्यमों के लिए भी वैध है। इसके अलावा इस मिशन द्वारा गाँव के लोगों को उनकी आय को बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार करने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। गुणवत्ता और कौशल प्रशिक्षण योग्यता की निरंतरता को सुनिश्चित करने के लिए कौशल के आकलन और प्रमाणन के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड की स्थापना की गई है। इसका काम देश में कौशल विकास के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के माध्यम से  परीक्षाएं लेना, राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाण देना एवं आकलन करना है। आँकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साझेदारों ने आरम्भिक दो वर्षों में ही 60,78,999 युवाओं को प्रशिक्षित कर दिया और लगभग 19,273,48 लोगों को रोजगार मिला। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम ने भी लगभग 80.33 लाख युवा विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया।

दुनिया में भारत युवाओं के देश के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां की जनसंख्या का 62 प्रतिशत 15 से 59 वर्ष के बीच की आयुवर्ग का है। यहां तक कि 25 वर्ष से कम आयु वाले लोगों का जनसाँख्यकीय आंकड़ा भी लगभग 54 प्रतिशत आंका गया है। भारत की कौशल महत्वकांक्षाओं की पूर्ति में यह युवा संपदा अत्यधिक लाभप्रद साबित हो सकती है। पिछले अनेक दशकों से भारत अभूतपूर्व आर्थिक रूपांतरण के दौर से गुजर रहा है परन्तु फिर भी युवा बेरोजगारी ने देश में लाखों युवाओं को घर पर बैठने के लिए मजबूर कर रखा था। संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन (आईएलओ) ने ‘2017 में वैश्विक रोजगार एवं सामाजिक दृष्टिकोण’ पर जारी की अपनी एक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में आशंका जताते हुए उल्लेख किया था कि भारत में वर्ष 2017 और 2018 के मध्य रोजगार सृजन में बाधा आएगी और बेरोजगारी बढ़ेगी। इसी तरह ‘एस्पाइरिंग माइंड्स’ की ‘नेशनल इम्पालयबिलिटी रिपोर्ट’ में भी कहा गया था कि भारत में इंजीनियरिंग डिग्री रखने वाले युवा स्नातकों में कुशलता की बेहद कमी है और उनमें से करीब अस्सी प्रतिशत स्नातक रोजगार के लायक ही नहीं हैं। इसी तरह के एक और सर्वेक्षण में पाया गया था कि देश के लगभग साढ़े पांच हजार बिजनेस स्कूलों में से सरकार द्वारा संचालित भारतीय प्रबंध संस्थानों तथा कुछ अन्य गैरसरकारी संस्थाओं को छोड़ कर शेष सभी स्कूलों व संस्थाओं से डिग्री लेकर निकलने वाले अधिकतर युवाओं में कौशल होता ही नहीं है।

देश के युवाओं के कौशल पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाली ऐसी रिपोर्टों को आज उत्तर मिल रहा है, क्योंकि 15 जुलाई 2015 से शुरु हुई “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना” इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। इस योजना का लक्ष्य व्यावहारिक स्तर पर पूरे भारत के लगभग 40 करोड़ युवाओं को विभिन्न योजनाओं के तहत सन् 2022 तक प्रशिक्षित करना है। इस योजना के अन्तर्गत आवंटित बजट के रूप में खर्च के लिए 12,000 करोड़ रूपये और 10 लाख से अधिक लोगो को रोजगार का लाभ देने की प्रतिबद्धता है। इसके अतिरिक्त इस विकास योजना का उद्देश्य भारतीय युवाओं में उनके कौशल के विकास के साथ-साथ उनका मूल्य संवर्धन करना भी है। भारतीय युवाओं के कौशल प्रशिक्षण वाली इस प्रमुख योजना में पाठ्यक्रमों में सुधार, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्‍य पहलुओं के साथ व्‍यवहार कुशलता और व्‍यवहार में परिवर्तन भी शामिल है। इसके तहत प्रारम्भ में 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षण के दायरे में लाया गया था। धीरे धीरे सन् 2022 तक कुल 2 करोड़ युवाओं को शामिल किया जाएगा।

इसका कौशल प्रशिक्षण नेशनल स्‍किल क्‍वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्‍यूएफ) और उद्योग द्वारा तय मानदंडों पर आधारित है। इसमें तृतीय पक्ष आकलन संस्‍थाओं द्वारा मूल्‍यांकन और प्रमाण पत्र के आधार पर प्रशिक्षुओं को नकद पारितोषिक दिए जाते हैं। नकद पारितोषिक औसतन 8,000 रूपए प्रति प्रशिक्षु तय किया गया है। भारत में परंपरागत शिक्षा पाठ्यक्रम प्रचलन के कारण बेरोजगारी शुरु से ही एक बड़ी समस्या रही है। इस योजना के तहत देश में तकनीकी शिक्षण प्रक्रिया में सुधार लाकर विश्व में तेजी से हो रहे परिवर्तनों के साथ अपने आप को गतिशील बनाते हुए शैक्षिक पाठ्यक्रम में विश्व मांग के अनुसार बदलाव करते हुए कौशल के आधार पर युवाओं को प्रशिक्षित किए जाने और रोजगार के अधिकाधिक अवसर प्रदान किए जाने के लक्ष्य रखे गए हैं।

विशेषरुप से अल्पसंख्यकों के कौशल विकास के लिए भी देश में अनेक योजनाएं जैसे “सीखो ओैर कमाओ” – अल्पसंख्यकों का कौशल विकास योजना, पारंपरिक कलाओं/ शिल्पों के विकास हेतु कौशल विकास एवं प्रशिक्षण योजना, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम के माध्यम से रियायती ऋण (एनएमडीएफसी) योजना चलाई जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उद्यमशीलता मंत्रालय ने ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात जैसे आदि देशों के साथ अपने बेहतरीन कामों के आदान-प्रदान एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के संरेखण को सुनिश्चित किया है। देश में औद्योगिक प्रशिक्षण उन्नत बनाने के लिए उद्यमशीलता मंत्रालय ने न केवल मौद्रिक समर्थन बल्कि बेहतरीन नीतियों को लागू करने को लेकर विश्व बैंक के साथ साझेदारी भी की है। विश्व बैंक ने भी भारत में कौशल विकास मिशन के लिए 25 करोड़ डॉलर मंजूर किए हैं।

देश के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों तथा सभी व्यावसायिक व तकनीकी स्कूलों और पोलिटेक्निक व अन्य व्यावसायिक कॉलेजों में युवा कौशल विकास के लिए अध्ययन प्रवर्तन उद्यमों से लेकर अनेक औपचारिक एवम् अनौपचारिक प्रशिक्षणों द्वारा स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए ई-लर्निंग और वेब-आधारित तथा दूरस्थ अध्ययन आधारित कौशल विकास प्रशिक्षणों की सुविधाएं दी जा रही हैं। देश के विभिन्न राज्यों में अनेक ऑनलाइन कौशल विकास केंद्रों को खोला जा रहा है। इसके अलावा देशभर में फैले लगभग 978 रोजगार कार्यालय राष्ट्रीय कॅरियर सेवा पोर्टल में एकीकृत किये गये हैं।

इन योजनाओं में देश की कुछ टेलिकॉम कंपनियों को भी जोड़ा गया है। टेलिकॉम कंपनी कौशल विकास योजना को एसएमएस के माध्यम से शहर से लेकर गाँव तक के सभी लोगो तक पहुँचाने का कार्य करती है। इसमें एसएमएस पर एक टोलफ्री नंबर दिया जाता है, जिस पर प्रतिभागी को मिस कॉल देना होता है। मिस कॉल करते हीं स्वचालित रुप से एक नंबर से पुनः कॉल आता है जिसके द्वारा आईवीआर सुविधा से आसानी से जुड़कर आवश्यक निर्देशानुसार प्रतिभागी अपनी जानकारी भेजता है, जो सिस्टम में संरक्षित कर ली जाती है। इन जानकारियों के आधार पर आवेदनकर्ता को उसके द्वारा बताए गए क्षेत्र में उसके निवास के आस-पास के प्रशिक्षण केंद्र से जोड़ा जाता है, जहाँ से उनको इस योजना की पूरी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा 08800055555 पीएमकेवीवाय टोलफ्री नम्बर पर भी प्रतिभागी समपर्क कर सकते हैं। साथ ही अन्य हेल्पलाइन नम्बर भी उपलब्ध हैं, जैसे विद्यार्थी हेल्पलाइन नम्बर : 8800055555, स्मार्ट हेल्पलाइन नम्बर: 18001239626 और एनएसडीसीटीपी हेल्पलाइन नम्बर : 9289200333 शामिल हैं।

सुखद परिणाम यह आ रहे हैं कि देश के युवा इन सभी सुविधाओं और योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश भर में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत फरवरी 2018 तक 3.20 लाख युवाओं को रोजगार से जोड़ा गया है। इसमें अल्प-कालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत अब तक 13 लाख प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, इनमें से 9 लाख को फरवरी 2018 तक प्रमाणपत्र भी दिए जा चुके हैं। नवम्बर 2017 तक प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र प्राप्त 5.98 लाख युवाओं को रोजगार दिया गया है। नवम्बर 2017 के बाद के युवाओं को रोजगार दिए जाने की प्रक्रिया जारी है। रोजगार दो श्रेणियों क्रमशः वेतन और स्व-रोज़गार में प्रदान किया गया है, जिनमें लगभग 76 प्रतिशत प्रतिभागियों को वैतनिक रोजगार और 24 प्रतिशत को स्व-रोजगार/ उद्यमिता में शामिल हैं। युवाओं को उद्यमी मित्र पोर्टल के माध्यम से मुद्रा ऋण पाने और प्रशिक्षण के बाद उन्हें देश के अग्रणी संगठनों में रोजगार पाने में भी सहायता प्रदान की जा रही है।

इस तरह पूरे देश में डिजीटल माध्यम से गांवों से लेकर कस्बों, नगरों, शहरों और महागनरों तक युवाओं में कौशल विकास के लिए कार्यनीतिक योजनाओं को विस्तार दिया जा रहा है। कौशल विकास द्वारा आर्थिक विकास की प्रक्रिया को वास्तव में एक जन क्रांति का रूप मिला है। इनसे लोग अपनी रोजगार समस्याओं का निर्धारण करके तदनुरूप कार्रवाई के माध्यम से अपने दृष्टिकोण में लाभप्रद परिवर्तन एवम् मूल्यांकन करते हुए उनके लिए वांछनीय समाधान तय कर पा रहे हैं। इससे युवाओं और उनके परिवारों को बेहतर और अधिक लाभप्रद जीवन जीने के लिए अधिकतम अवसर मिलने लगे हैं। वे अपने कौशल में सर्वोच्च प्रवीणता बनाए रखने के लिए प्रासंगिक और निरंतर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। व्यापक रोजगार सृजित करने वाले क्षेत्रों जैसे वस्त्र एवं परिधान, चमड़ा एवं फुटवियर, रत्न एवं आभूषण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और हथकरघा एवं हस्तशिल्प में युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है। इसके साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर एवं इलेक्ट्रॉनिकी जैसे विनिर्माण वाली प्रौद्योगिकी क्षमताओं और दूरसंचार उपकरण, एयरोस्पेस, नौवहन और रक्षा उपकरण जैसे सुरक्षा क्षेत्रों की ओर भी भारतीय युवाओं का रुझान बढ़ा है।

युवाओं में निरंतर जाग रहे इस कौशल आत्मविश्वास से देश में बेरोजगारी की समस्या और गरीबी निःसंदेह समाप्त हो जाएगी। इससे लघु औद्योगिक उत्पादकता में होने वाली भावी वृद्धि का सीधा सीधा असर प्रति व्यक्ति आय पर पड़ेगा और राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होगी। वह दिन दूर नहीं जब भारत की कुशल युवाशक्ति अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी विश्व बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करेगी और हमारा देश विश्व का कौशल किरीट पहनकर कुशल समृद्धि का कुबेर बनेगा।

डॉ. शुभ्रता मिश्रा

डॉ. शुभ्रता मिश्रा वर्तमान में गोवा में हिन्दी के क्षेत्र में सक्रिय लेखन कार्य कर रही हैं । उनकी पुस्तक "भारतीय अंटार्कटिक संभारतंत्र" को राजभाषा विभाग के "राजीव गाँधी ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार-2012" से सम्मानित किया गया है । उनकी पुस्तक "धारा 370 मुक्त कश्मीर यथार्थ से स्वप्न की ओर" देश के प्रतिष्ठित वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई है । इसके अलावा जे एम डी पब्लिकेशन (दिल्ली) द्वारा प्रकाशक एवं संपादक राघवेन्द्र ठाकुर के संपादन में प्रकाशनाधीन महिला रचनाकारों की महत्वपूर्ण पुस्तक "भारत की प्रतिभाशाली कवयित्रियाँ" और काव्य संग्रह "प्रेम काव्य सागर" में भी डॉ. शुभ्रता की कविताओं को शामिल किया गया है । मध्यप्रदेश हिन्दी प्रचार प्रसार परिषद् और जे एम डी पब्लिकेशन (दिल्ली)द्वारा संयुक्तरुप से डॉ. शुभ्रता मिश्राके साहित्यिक योगदान के लिए उनको नारी गौरव सम्मान प्रदान किया गया है। इसी वर्ष सुभांजलि प्रकाशन द्वारा डॉ. पुनीत बिसारिया एवम् विनोद पासी हंसकमल जी के संयुक्त संपादन में प्रकाशित पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न कलाम साहब को श्रद्धांजलिस्वरूप देश के 101 कवियों की कविताओं से सुसज्जित कविता संग्रह "कलाम को सलाम" में भी डॉ. शुभ्रता की कविताएँ शामिल हैं । साथ ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में डॉ. मिश्रा के हिन्दी लेख व कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं । डॉ शुभ्रता मिश्रा भारत के हिन्दीभाषी प्रदेश मध्यप्रदेश से हैं तथा प्रारम्भ से ही एक मेधावी शोधार्थी रहीं हैं । उन्होंने डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से वनस्पतिशास्त्र में स्नातक (B.Sc.) व स्नातकोत्तर (M.Sc.) उपाधियाँ विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान के साथ प्राप्त की हैं । उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से वनस्पतिशास्त्र में डॉक्टरेट (Ph.D.) की उपाधि प्राप्त की है तथा पोस्ट डॉक्टोरल अनुसंधान कार्य भी किया है । वे अनेक शोधवृत्तियों एवम् पुरस्कारों से सम्मानित हैं । उन्हें उनके शोधकार्य के लिए "मध्यप्रदेश युवा वैज्ञानिक पुरस्कार" भी मिल चुका है । डॉ. मिश्रा की अँग्रेजी भाषा में वनस्पतिशास्त्र व पर्यावरणविज्ञान से संबंधित 15 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।