कविता

आओ मनाएं दिवाली

अंधकार को दूर भगाकर जग रोशन करना होगा।
द्वेष, भावना, तमस हटाकर सब को गले लगाना होगा।।
रामराज्य के स्वागत का अबतो शंख बजाना होगा।
राष्ट्र भक्ति का भाव जगाकर मधुमय दीप जलाना होगा।।
ड्रैगन की काली चालों को जन-जन तक बतलाना होगा।
पाञ्चजन्य का शंखनाद कर मिट्टी के दिए जलाना होगा।।
घर का धन घर में ही आये स्वदेशी भाव मिलाना होगा।
देश की सीमाएं रहें सुरक्षित भाव यही जतलाना होगा।।
गांव, नगर, वन, पर्वत ऊपर घी के दिए जलाना है।
सदाचार, संस्कार संजोकर मन का तमस हटाना है।।
बहे सुगन्धित मुक्त पवन प्रेम के दीप जलाना है।
जंगल , पर्वत बसते हिन्दू सब को अपना कहना है।।
दीवाली के शुभागमन पर भारत की सीमा जगमग हो।
सीमा पर खड़े सिपाही का अंतर्मन भी जगमग हो।।
भारत माँ की जय – जय बोलो दीपोत्सव की लाली हो।
घर -घर में हो श्री राम की पूजा रात कोई न काली हो।।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047