गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

रिंद,  साक़ी, मयकदे  की बात  हो,
हो नाम मेरा जब नशे की बात  हो।

जाईये न इस तरह की महफिलों में,
लापता  जिनमें  पते   की बात  हो।

दूरियां  उनसे   रखो   जिनके लिए,
प्यार  करना  बस मज़े की बात हो।

साथ सच  का सब  वहां पर दिजीये,
जब  देशहित  में फैसले की बात हो।

जश्ने   आज़ादी     मनाते  लोग   यूं,
जैसे अभी  बारह  बजे की बात हो।

सामने  हो  एक ‘जय’  चेहरा तेरा,
जब  कभी  भी आईने  की बात हो।

जयकृष्ण चांडक ‘जय’
हरदा म प्र

*जयकृष्ण चाँडक 'जय'

हरदा म. प्र. से