गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य

ग़ज़ल

इस देश का चुनाव है’ अपने शबाब में
अब कौन शख्स है खरा’ इस इन्तखाब में ?
जनता के’ सामने सभी’ माहिर जवाब में
आदाब को भी’ छोड़ते’ नेता इताब में |
आरोप अब लगा रहे’ हैं एक दूजे’ पर
नखरे अभी सभी दलों’ के शोख ताब में |
शासक अभी फरीद है’, इसको हराना’ है
अब एकता विपक्ष में’ अपने हिसाब में |
कोई नहीं यहाँ जो’ धुले दूध के अभी
अपनी सभी बुराई’ छुपायी हिजाब में |
बादल सलील हीन, न सौरभ है’ फूल में
यह वायु नम, नहीं नशा’ है अब शराब में |
यह चाह थी हयात में’ बाहों में’ तुझको’ लूँ
ये जिंदगी तमाम बिताया सराब में |
इस बेकरार दिल की’ तमन्ना कि देख लूँ
जो पूर्णिमा का’ चाँद छुपा है नकाब में |
दिनरात इंतज़ार किया, फिर मिलन हुआ
पर लम्स में वो’ मज़ा कहाँ’, जो इजतिराब में |
प्रतिवर्ष ही हरेक पुरस्कार पाते’ हैं
है नाम, किन्तु शाख कहाँ है खिताब में ?
‘काली’ गुफाओं’ में नही’ मंदिर में’ भी नहीं
भगवान, ज्ञानज्योति सभी कुछ किताब में |
शब्दार्थ : इन्तखाब=चुनाव; इताब=गुस्सा
हिजाब=आढ़ : सलील= हरकत, क्रियाकलाप
ताब=गर्मी; फरीद=अकेला; सराब= मृगमरीचिका
लम्स= छूअन,स्पर्श: इजतिराब=बचैनी से समय काटना

कालीपद प्रसाद

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !