ब्लॉग/परिचर्चा

संयोग कैसे-कैसे!

आज से 52 साल पहले की बात है. मैं जयपुर में रहती थी और वहां स्कूल में फाउंडर प्रिंसिपल थी. हमारी शादी हुई और मैं दिल्ली आ गई. जयपुर की नौकरी जयपुर में ही रह गई. जब मैं दिल्ली में नौकरी के लिए फॉर्म भर रही थी, तो हमने अपनी पहली नौकरी की तारीख 7.12.62 भरी. पतिदेव ने कहा- ”अपनी पहली नौकरी की तारीख भरो, मेरी क्यों भर रही हो?”

”ये देखिए मैं सही तारीख भर रही हूं.” मैंने सर्टिफिकेट दिखाते हुए कहा.

”मेरी पहली नौकरी की तारीख भी यही है.” उन्होंने भी सर्टिफिकेट लाकर दिखाते हुए कहा.

33 साल बाद हमारे बेटे का विवाह हुआ, वह भी 7.12 को, यानी 7.12 हम सबके लिए एक खास यादगार तारीख बन गई.
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कुछ समय पहले ही लाजवाब प्रतिक्रियाओं के साथ हमारे ब्लॉग पर एक नए पाठक-कामेंटेटर सुदर्शन शर्मा आए. कुछ समय बाद वे हमारे फेसबुक फ्रेंड भी बन गए. एक दिन हमने उनसे जन्मतिथि पूछी. उन्होंने अपनी जन्मतिथि 27 जून बताई. संयोग देखिए- उनकी जन्मतिथि 27 जून, उनके एक भाई की जन्मतिथि 27 सितंबर, दूसरे भाई की जन्मतिथि 27 दिसंबर और भतीजे सुमन्यु की जन्मतिथि 27 जनवरी.
यहां हम आपको बताते चलें, कि कुछ समय पहले हम पोतों के स्कूल की सुविधा के कारण किराये के घर में रह रहे थे, उसका नंबर भी 27 था और अब अपने घर में रह रहे हैं, उसका नंबर भी 27 है.
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संयोग-पर-संयोग की बात आगे बढ़ती गई. सुदर्शन भाई के परिवार के सदस्यों के नाम हैं- सुदर्शन, स्वाति, स्मृति, सौम्या.
हमने कहा- ”भाई वाह, क्या संयोग है! नामों में भी अनुप्रास अलंकार! बहुत बढ़िया.”
फिर उनका जवाब आया- ”आगे सुनिए. मेरे दो भाइयों के परिवार में भी सबके नाम ‘स’ से हैं- सुमन, श्रुति, स्निग्धा, सारांश: संजय सीमा सुमन्यु, सुशांत: मेरे जीजाजी के घर- सुनील, सविता, सौरभ, स्मिता.”
है न अजब संयोग!
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 आपको यह जानकर जानकर अत्यंत हर्ष होगा, कि अधिकतर सकारत्मक गुण और आशीर्वाद ‘स’ से प्रारंभ होते हैं. सरलता, सौम्यता, स्निग्धता, सकारात्मकता, स्नेहिलता, सुख, समृद्धि, संतोष, सहनशीलता, सेवा, सत्कार. संवेदनशीलता, सांत्वना, सहयोग, सद्भावना आदि ‘स’ से ही प्रारंभ होते हैं. 
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हमारी अधिकतर कहानियों-लघुकथाओं के पात्रों के नाम ‘स’ से प्रारंभ होते हैं. हमारे दो उपन्यास ”जीवन के मोड़ पर” और ”सरल रेखा” के अधिकतर पात्रों के नाम भी ‘स’ से ही प्रारंभ होते हैं. 
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संयोग के ऐसे किस्से आप लोगों के पास भी होंगे, आप हमसे साझा करना चाहें, तो आपका हार्दिक स्वागत है.
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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “संयोग कैसे-कैसे!

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , यह संयोग के किसे बहुत अद्भुत लगे . हमारा तो बस एक ही है , मेरा जन्म दिन और हमारी शादी की तरीख यानी १४ अप्रैल. हम तो इन से ही संतुष्ट हैं .जिन के ज़िआदा संयोग मिले वोह तो भाग्यवान ही कहूँगा .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि हमेशा की तरह यह ब्लॉग भी आपको बहुत अच्छा लगा. आपका एक संयोग ही हजार के बराबर है. अधिक संयोग हम बताए देते हैं. आपका और तिवानी साहब का जन्म 1942 में हुआ, कुलवंत जी का और मेरा 1946 में. आपका और हमारा विवाह 1967 में हुआ. कहिए, कैसी रही! ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि हमेशा की तरह यह ब्लॉग भी आपको बहुत अच्छा लगा. आपने लिखा-
      वाह , यह एक और कमाल हो गिया . हमारी पहली बिटिया का जन्म १९६८ में हुआ था और दुसरी का १९६९ में हुआ था . बेटे का १९७२ में हुआ था.
      हमारे बेटे का जन्म भी जनवरी 1972 में हुआ.
      ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    एक संयोग यह भी है, कि मेरी, मेरी एक बहिन और भाई की शादी नवंबर में हुई, एक देवर की शादी भी नवंबर में हुई, हमारे एक पाठक-कामेंटेटर की शादी भी नवंबर में हुई, जिनके विवाह की सालगिरह पर आप हर साल विशेष सदाबहार कैलेंडर पढ़ते हैं.

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