कविता

मातृभूमि का आधार

अन्य संस्कृतियों और सभ्यताओं को अपनाना,
ये इस महान भारत का आधार है,
इस लिए गौ,गंगा,गीता,गायत्री..!
यहाँ अति पावन ये चार हैं।
नदियां है यहां की पुण्यदायिनी,
गीता जैसी पुस्तकें कर्म सिखाती हैं,
शिक्षा यहां की,मानवीय बुद्धि को,
पावनतम सद्पथ पर ले जाती हैं।
गुरु से जुड़कर सद्विचारों का,
यहाँ जन्म हृदय में होता है।
सुविचारों के लिए मनुष्य यहां का,
सद्भाव हृदय में सँजोता है।
धरती यहां की विदेशियों को भी,
लगती अपना ही परिवार है।
देना उन्हें कई अविस्मरणीय यादें,
यही अपनी मातृभूमि का आधार है।
रग-रग में निरन्तर बहती यहां,
अति-पावन करुणा की धार है।
इसीलिये यहां की सभ्यता में बसा,
शुभ-सकारात्मक आचार-विचार है।
गौरव मौर्या

गौरव कुमार मौर्या

लेखक & विचारक पूर्व बीएचयू छात्र जौनपुर, उत्तर प्रदेश मो. 8317036927